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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : "महाराष्ट्र में मराठी, मराठी के लिए सिर्फ ठाकरे", इन नारों के साथ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 20 साल बाद राजनीतिक मंच पर नजर आएंगे। 5 जुलाई को दोनों भाइयों की यह रैली आगामी निकाय चुनावों में नए समीकरण की तस्वीर भी दिखाएगी। दरअसल, हिंदी पर फडणवीस सरकार के यू-टर्न के बाद निकाय चुनावों में विजय रैलियां करने जा रहे ठाकरे बंधुओं के बीच गठबंधन की चर्चा है।

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की रैली के लिए जगह और समय तय, पोस्टर से मचेगा सियासी भूचाल?

महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 17 जून को आदेश जारी कर कहा था कि कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी पढ़ाई जाएगी। इस फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों ने आवाज उठाई। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने 5 जुलाई को विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया। हालांकि, इसी बीच सरकार ने यू-टर्न लेते हुए हिंदी पढ़ाने का फैसला वापस ले लिया। इसके बाद दोनों नेताओं ने विजय रैली निकालने का ऐलान किया।

रैली का समय निर्धारित

उद्धव ठाकरे की पार्टी ने गुरुवार (3 जुलाई) को बताया कि रैली 5 जुलाई को एनएस पर होगी। यह रैली वर्ली के सीआई डोम में होगी। इसका समय सुबह 11:00 बजे होगा। दिलचस्प बात यह है कि इस विजय रैली में पार्टी का कोई झंडा नहीं होगा। केवल भगवा झंडा लाने की अपील की गई है।

शिवसेना (यूबीटी) ने भी गुरुवार को एक आक्रामक पोस्टर जारी किया। एआई से बनाए गए इस पोस्टर में बालासाहेब ठाकरे, उद्धव ठाकरे, उनके चचेरे भाई राज ठाकरे और भगवा झंडे लिए एक बड़ी भीड़ दिखाई दे रही है। इस पोस्टर पर लिखा है, "महाराष्ट्र में मराठी, मराठी के लिए सिर्फ़ ठाकरे।"

एक अन्य पोस्ट में शिवसेना यूबीटी ने कहा, "जीत का जश्न इस तरह मनाएं कि भविष्य में कोई भी 'मराठी' की ओर आंख उठाकर देखने की हिम्मत न कर सके!"

क्या वे बीएमसी चुनावों में एक साथ आएंगे?

शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि 5 जुलाई को पूरा देश शक्ति को देखेगा. बारिश का दिन है, इसलिए यह कार्यक्रम डोम में करना होगा. नहीं तो यह कार्यक्रम खुले मैदान में होता. हम महाराष्ट्र में हो रहे अन्याय के खिलाफ साथ आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि बीएमसी चुनाव में भी हम साथ होंगे. मुंबई के लिए, महाराष्ट्र के लिए दोनों भाइयों को साथ आना होगा.

सावंत ने कहा कि दोनों भाइयों का साथ आना विश्वास और एकजुटता का विषय है। वे अपने वादों के पक्के हैं। वे बालासाहेब ठाकरे के मूल्यों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अपने वादों के लिए मरने को तैयार रहने वाले लोग हैं।

महाराष्ट्र में राजनीतिक अटकलें

आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे से खफा राज ठाकरे ने नवंबर 2005 में शिवसेना से इस्तीफा देकर मार्च 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया था। इसके बाद यह पहला मौका है जब दोनों भाई एक साथ राजनीतिक मंच पर होंगे। साथ आने की मुख्य वजह मनसे और उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) का कमजोर होता जनसमर्थन माना जा रहा है। दोनों भाइयों को उम्मीद है कि साथ आने से मराठी मतदाता उनके साथ आएंगे और निकाय चुनाव में उन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा।

बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर उद्धव ठाकरे राज ठाकरे के साथ गठबंधन करते हैं तो एमवीए का भविष्य क्या होगा? क्या उद्धव ठाकरे कांग्रेस-शरद पवार एनसीपी-एसपी से खुद को अलग कर लेंगे? या फिर वे गठबंधन में बने रहेंगे और सीट बंटवारे का कोई नया फॉर्मूला निकालेंगे?