img

Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कल्पना कीजिए आप अपने बच्चे के साथ बाहर गए हैं और अचानक उससे कोई छोटी-सी गलती हो जाती है — जैसे कुछ गिरा देना या ज़्यादा शरारत करना। गुस्से में आप तुरंत उसे सबके सामने डांट देते हैं, सोचते हैं कि यह उसे सुधारने का सबसे आसान तरीका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका यह बर्ताव उसके मन और भावनाओं पर कितना गहरा असर डाल सकता है?

बचपन में मिली इस तरह की डांटें, बच्चों के आत्मसम्मान को अंदर तक चोट पहुंचा सकती हैं। चाहे गलती कितनी भी बड़ी हो, अगर आप सार्वजनिक रूप से बच्चे को डांटते हैं, तो उसके अंदर शर्म, डर, और हीन भावना घर कर सकती है। आइए जानते हैं, क्यों बच्चों को सबके सामने डांटना उनके मानसिक विकास के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

1. आत्मविश्वास में भारी गिरावट

जब बच्चे को सार्वजनिक रूप से डांट पड़ती है, तो वह खुद को कमजोर और शर्मिंदा महसूस करने लगता है। उसे लगता है कि वह दूसरों की नजरों में गिर गया है। इससे उसका आत्मविश्वास धीरे-धीरे खत्म हो सकता है। वह हर नए काम को करने से पहले डरने लगेगा कि कहीं फिर से डांट न पड़ जाए।

2. चिड़चिड़ापन और विद्रोही स्वभाव

बार-बार डांटे जाने से बच्चा अंदर ही अंदर गुस्सा पालने लगता है। उसे लगने लगता है कि उसकी कोशिशों की कोई कद्र नहीं है। इसका नतीजा यह होता है कि वह जिद्दी या चिड़चिड़ा बन जाता है। कई बार तो वह जानबूझकर गलतियां दोहराने लगता है ताकि अपना गुस्सा दिखा सके।

3. आपसे भावनात्मक दूरी

अगर आप बार-बार उसे लोगों के सामने शर्मिंदा करेंगे, तो वह धीरे-धीरे आपसे दूरी बनाने लगेगा। उसे लगेगा कि आप उसे नहीं समझते और वह अपनी बातें आपसे छिपाने लगेगा। इस तरह माता-पिता और बच्चे के रिश्ते में दरार आ सकती है।

4. सामाजिक डर और अकेलापन

डांट पड़ने का डर बच्चे को सामाजिक गतिविधियों से दूर कर सकता है। उसे लगने लगेगा कि लोग उसका मज़ाक उड़ाएंगे या जज करेंगे। ऐसे में वह स्कूल की एक्टिविटीज़, पार्टियों और दोस्तों के साथ खेलने से भी परहेज करने लगेगा।

5. दूसरों के प्रति नकारात्मकता

बच्चे को अगर सबके सामने डांटा जाए, तो वह उन लोगों के प्रति गुस्सा या जलन महसूस कर सकता है जिनके सामने उसे नीचा दिखाया गया। इससे उसके दोस्ती के रिश्ते और सामाजिक व्यवहार प्रभावित हो सकते हैं।

तो फिर करें क्या?

गलती पर सुधार जरूरी है, लेकिन तरीका और समय बहुत मायने रखता है। कोशिश करें कि बच्चे को अकेले में प्यार से समझाएं। उसे यह एहसास दिलाएं कि आप उसकी गलती से नाराज़ हैं, लेकिन आप उससे प्यार करते हैं। ऐसा करने से बच्चा आपकी बात को बेहतर तरीके से समझेगा और आपके साथ उसका रिश्ता भी मज़बूत होगा।