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चित्रकूट के 'शबरी झरने' का नाम बदलने पर भड़का आदिवासी समाज

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धर्म डेस्क। भगवान राम की अनन्य भक्त माता शबरी की कहानी हर कोई जानता है। माता शबरी के बिना राम कथा अधूरी मानी जाती है। उत्तर प्रदेश की रामभक्त योगी सरकार ने माता शबरी का अपमान किया है। चित्रकूट में स्थित शबरी जल प्रपात का नाम बदलकर तुलसी जल प्रपात कर दिया है। गया है। सरकार के इस कदम से आदिवासी समुदाय आक्रोशित है। क्षेत्र के आदिवासियों का कहना है कि प्रदेश की  'राम भक्त' सरकार ने भगवान राम के प्रति शबरी के वात्सलयजनित प्रेम का का अपमान किया है।

उल्लेखनीय है कि शबरी जल प्रपात उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। मध्य प्रदेश सरकार ने इसे 'शबरी जल प्रपात' के नाम से विकसित कर बेहतरीन पर्यटन स्थल का स्वरूप दिया है। वहीं दो साल पहले उत्तर प्रदेश के वन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों ने इसका नाम 'तुलसी जल प्रपात' रख दिया। इस नामकरण के पीछे तुलसीदास के चित्रकूट स्थित राजापुर में जन्म को आधार बताया था।

जानकारी के अनुसार शबरी जल प्रपात की खोज समाजसेवी और अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक गोपाल ने की थी। गोपाल ने ही  इसे 'शबरी जल प्रपात' नाम दिया था। आदिवासी समाज के लोगों के अनुसार कुछ समय पहले लखनऊ से वन विभाग की एक वरिष्ठ अधिकारी ने रानीपुर टाइगर रिजर्व के लिए पाठा क्षेत्र का दौरा किया था। इस दौरान वो शबरी जलप्रपात भी गई थी। वरिष्ठ अधिकारी ने बगैर स्थानीय स्तर पर प्रस्ताव मांगे जलप्रपात का नाम बदलकर तुलसी जलप्रपात रख दिया।  

गोपाल समेत तमाम स्थानीय लोगों का कहना है कि शबरी माता क्षेत्रीय आदिवासियों की आराध्य हैं। क्षेत्र के आदिवासी परिवार इस प्रपात को तीर्थस्थल के रूप में देखते हैं। यदि समय रहते जलप्रपात का पुराना नाम शबरी जलप्रपात नहीं रखा गया तो स्थानीय लोग आदिवासी समुदाय के साथ मिलकर अनिश्चित कालीन धरना शुरू करेंगे। 

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