देहरादून में बड़ा भूमि घोटाला, भूमाफियाओं ने वन एवं राजस्व भूमि पर किया अवैध अतिक्रमण

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देहरादून। दशकों पहले सरकार द्वारा  अधिग्रहीत की गयी वन भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण एवं खरीद-बिक्री का गंभीर मामला सामने आया है। अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता विकेश सिंह नेगी ने इस गंभीर मामले को लेकर मुख्यमंत्री, वन मंत्री, और अन्य अधिकारियों को शिकायत पत्र प्रेषित कर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। उल्लेखनीय यही कि यह भूमि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी राजपत्र अधिसूचनाओं 11 अक्टूबर 1952, 29 जून 1953 और 3 सितंबर 1953 के तहत अधिग्रहित की गई थी।

अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता विकेश सिंह नेगी के शिकायत पत्र के अनुसार कुछ भूमाफियाओं ने संबंधित विभागों के अधिकारियों से सांठगांठ करके इस वन भूमि को धोखाधड़ी से निजी व्यक्तियों को बेचकर पंजीकृत कर दिया है। जानकारी के अनुसार क्याटकुली भट्टा, चलांग, अम्बारी, डंडा जंगल, रुद्रपुर आदि गांवों की भूमि, जो 11 अक्टूबर 1952 की उत्तर प्रदेश राजपत्र अधिसूचना के अनुसूची II में सूचीबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950 के तहत संरक्षित है। यह भूमि न तो बेची जा सकती है और न ही किसी निजी व्यक्ति द्वारा खरीदी जा सकती है।

इसी तरह उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम के अनुसार, 8 अगस्त 1946 के बाद किए गए किसी भी भूमि अनुबंध को अवैध घोषित किया गया था। इस कानून के अनुसार इस तारीख के बाद की गई किसी भी भूमि बिक्री या खरीद का कोई कानूनी आधार नहीं है और वह शून्य मानी जाती है। इसके बावजूद कई लोगों ने अब इन वन भूमि के पंजीकृत दस्तावेज प्राप्त कर लिए हैं, जो पूरी तरह से अवैध हैं।

इस तरह वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण और कब्जा वन संरक्षण कानूनों के उल्लंघन के साथ ही पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। सर्वोच्च न्यायालय के 2009 के सिविल अपील नंबर 7017 में दिए गए फैसले में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि 11 अक्टूबर 1952 की गजट अधिसूचना एक महत्वपूर्ण कट-ऑफ तिथि है, जिसके बाद किसी भी वन भूमि की खरीद-बिक्री अवैध मानी जाएगी।

इसके बावजूद, राज्य सरकार की अधीनस्थ एजेंसियों, राजस्व विभाग, वन विभाग, और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने इन सरकारी और वन भूमि पर अवैध निर्माण और बिक्री की अनुमति दी है। यह न केवल वन संरक्षण की दृष्टि से आपत्तिजनक है, बल्कि पर्यावरणीय क्षति और जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता विकेश सिंह नेगी ने इस गंभीर मामले को लेकर मुख्यमंत्री, वन मंत्री, और अन्य अधिकारियों को औपचारिक शिकायत भेजी है। शिकायत पत्र में विकेश सिंह नेगी ने इस मामले में दोषियों और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई करने, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सभी भूमि रिकॉर्ड की समीक्षा और सुधार करने, वन भूमि कीअवैध खरीद-बिक्री और उसपर निर्माण कार्यों पर तुरंत रोक लगाने और अवैध अतिक्रमण पर अंकुश लगाकर प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करने की मांग की है। 

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