वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥ आज शुरुआत इन्हीं गणेश मंत्र से होगी। भगवान गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi celebration 2023) आज है। यह एक ऐसा हिंदू पर्व है जो 10 दिनों तक गणेश उत्सव के रूप में देशभर में मनाया जाता है। मंगलवार, 19 सितंबर से 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत हो रही है। दस दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव 28 सितंबर तक रहेगा। आज से ही महाराष्ट्र, कर्नाटक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान समेत तमाम राज्यों में गणेश उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मुंबई और पुणे में इस त्योहार की सबसे ज्यादा धूम रहती है। मुंबई में क्या आम क्या खास सभी गणेश की भक्ति में लीन रहते हैं। पहले दिन यानी आज बप्पा की स्थापना होती है और दसवें दिन विसर्जित किए जाते हैं।
आज से मंगलमूर्ति गणेश 10 दिन के लिए विराजेंगे फिर अनंत चतुर्दशी पर उनकी विदाई होगी। पुराणों के मुताबिक गणेश जी का जन्म भादौ की चतुर्थी (Ganesh Chaturthi celebration 2023) को दिन के दूसरे प्रहर में हुआ था। उस दिन स्वाति नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त था। ऐसा ही संयोग आज बन रहा है। इन्हीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग में मध्याह्न यानी दोपहर में जब सूर्य ठीक सिर के ऊपर होता है, तब देवी पार्वती ने गणपति की मूर्ति बनाई और उसमें शिवजी ने प्राण डाले थे। इस वर्ष पंचांग भेद के कारण भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 दिन रहेगी। 18 सितंबर से चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी जो 19 सितंबर की सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi celebration 2023) पर गणपति इस बार बप्पा का आगमन रवि योग में हो रहा है। इस बार मंगलवार और गणेश चतुर्थी का शुभ योग रहेगा और इसके अलावा रवियोग, स्वाति और विशाखा नक्षत्र भी रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर घर-घर भगवान गणपति विराजते हैं और पूजा-आराधना की जाती है। 19 सितंबर 2023, मंगलवार को रवि योग सुबह 06 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 48 मिनट तक है। पूजा-पाठ के लिए रवि योग को शुभ माना जाता है।
भगवान गणेश को दुखहर्ता, शुभकर्ता और विघ्नहर्ता जैसे नामों से जाना जाता है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi celebration 2023) के दौरान गणपति की स्थापना जिस घर में की जाती है और विधि-विधान से पूजन वगैरह किया जाता है, उस घर के सारे कष्ट, परेशानियां और विघ्न गणपति अपने साथ ले जाते हैं। ऐसे घर में सब कुछ मंगल ही मंगल होता है। पूरे साल लोग इस पर्व का इंतजार करते हैं और धूमधाम से इसे मनाते हैं।
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi celebration 2023) को बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है। बौद्धिक ज्ञान के देवता कहे जाने वाले गणपति के आशीर्वाद से व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है। इसीलिए भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं। गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र, मुंबई, पुणे, गोवा और तेलंगाना जैसे शहरों में अधिक लोकप्रिय है।
यहां गणेश जी के बड़े-बड़े पंडाल लगते हैं। हर एक घर में गणेश जी की प्रतिमा भव्य स्वागत कर के लाई जाती है। पूरा मुंबई शहर गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi celebration 2023) के रस में सरोकार रहता है। गणेश चतुर्थी का पर्व मुंबई और पुणे में एक सामाजिक त्योहार के रूप में मनाया जाता रहा है। इसे गणेश उत्सव भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश जी के जन्म को त्योहार की तरह मनाते हैं और गणेश जी को गणपति बप्पा कहते हैं। यह 11 दिन तक चलने वाला त्योहार है, जिसमें सभी अपने घरों में गणेश जी की प्रतिमा लेकर आते हैं और पूजन के बाद विसर्जित करते हैं। देश भर में मनाए जाने के अलावा इस त्योहार की चकाचौंध मुंबई और पुणे में कुछ अलग ही होती है। गणेश जी के बड़े पंडाल, भव्य आरती और भव्य श्रृंगार इसका हिस्सा बनते हैं।
पेशवा युग में मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में, महाराष्ट्र के हर गांव और हर घर में गणपति बप्पा की पूजा होती थी क्योंकि गणेश जी पेशवा के कुल देवता थे। समय के साथ इनके साम्राज्य में गिरावट होने के साथ गणपति उत्सव में भी गिरावट हो गई। लेकिन फिर आजादी की जंग लड़ने वाले लोकमान्य तिलक ने इस उत्सव (Ganesh Chaturthi celebration 2023) को फिर से शुरू करने का प्रयास किया।
वर्तमान में होने वाले गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi celebration 2023) की शुरुआत 1892 में हुई जब पुणे निवासी कृष्णाजी पंत मराठा द्वारा शासित ग्वालियर गए। वहां उन्होंने पारंपरिक गणेश उत्सव देखा और पुणे वापस आकर अपने मित्र बालासाहब नाटू और भाऊ साहब लक्ष्मण जावले जिन्हें भाऊ रंगारी के नाम से भी जाना जाता था, उनसे इस बात का जिक्र किया। भाऊ साहब जावले ने इसके बाद पहली गणेश मूर्ति की स्थापना की।
लोकमान्य तिलक ने 1893 में अपने अखबार केसरी में जावले के इस प्रयास की प्रशंसा की और अपने कार्यालय में गणेश जी की बड़ी मूर्ति की स्थापना की। इनके प्रयास से ही यह पारंपरिक त्योहार एक भव्य सुसज्जित सामाजिक त्योहार (Ganesh Chaturthi celebration 2023) बनता गया। तिलक ने ही पहली बार गणेश जी की सामाजिक तस्वीर और मूर्ति जनता में लगाई और दसवें दिन इसे नदियों में विसर्जित करने की परंपरा बनाई।
जिसके बाद बड़े-बड़े गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi celebration 2023) हर जाति धर्म के लोगों को मिलाकर भव्य मैदानों और पंडालों में होने लगे जिससे सभी भारतीयों में एकता होने लगी क्योंकि ब्रिटिश द्वारा इस तरह एक जगह एकत्रित होने पर प्रतिबंध था। गणेश उत्सव के सामने ये प्रतिबंध काम नहीं करते। तिलक ने गणेश जी को ‘सबके भगवान’ कहा और गणेश चतुर्थी को भारतीय त्योहार घोषित किया।