
नई दिल्ली। खेतों में उगने वाली फसलों को कीट-रोग और तमाम खरपतवारों से बचाने के लिए किसान उस पर कई तरह की कैमिकलयुक्त दवाओं का छिड़काव हमेशा से करते आ रहे हैं। ऐसी ही एक दवा है हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट (Glyphosate Ban) इस दवा का इस्तेमाल खेतों में होने वाले खरपतवार को खत्म करने के लिये किया जाता रहा है।
आपको बता दें कि पिछले करीब 40 वर्षों से दुनिया के लगभग 160 देशों के किसान इस कैमिकल का छिड़काव फसलों पर करते आ रहे हैं, लेकिन अब भारत सरकार ने स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से इस केमिकल के छिड़काव पर प्रतिबंध लगा दिया है । सरकार के इस प्रतिबंध के बाद अब देश के किसान इसका डिस्ट्रीब्यूशन, बिक्री और इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
वैसे तो इस कैमिकल को सुरक्षित और प्रभावी खरपतवारनाशी के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन अब सिर्फ पीसीओ के जरिये ही ग्लाइफोसेट के फॉर्मूलेशन को सीमित कर दिया गया है। हालांकि भारत सरकार के इस फैसले पर एजीएफआई (AGFI) ने ग्लोबल रिसर्च और नियामक निकायों से समर्थन का हवाला देते हुये प्रतिबंधों की खिलाफत की है।
सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन
देश में हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक नोटिफिकेशन भी भारत सरकार ने जारी किया है। इस नोटिफिकिकेशन में साफ लिखा है कि Glyphosate का इस्तेमाल अब प्रतिबंधों के अधीन होगा। अब पेस्ट कंट्रोल ऑपरेटर्स (PCO) के अतिरिक्त कोई भी किसान या व्यक्ति ग्लाइफोसेट का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। नोटिफिकेशन में कंपनियों को भी ग्लाइफोसेट और उसके डेरिवेटिव के लिए मिले रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को भी रजिस्ट्रेशन कमेटी को लौटाने को कहा गया है।
खेती-किसानी पड़ेगा असर
कैमिकल हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार ने स्वास्थ्य और सुरक्षा कारकों को वजह बताई है। वहीं सरकार के इस कदम पर एग्रो–केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने खुला विरोध किया है। इस मामले में एसीएफआई के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने बयान जारी कर कहा है कि ग्लाइफोसेट-आधारित फॉर्मूलेशन का इस्तेमाल काफी सुरक्षित हैं, भारत के साथ-साथ विश्व के कई अग्रणी नियामक प्राधिकरणों ने इसके परीक्षण और सत्यापन में योगदान दिया है।
एसीएफआई के महानिदेशक का कहना है कि ग्लाइफोसेट पर बैन लगाने का कोई तर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि पीसीओ के माध्यम से इस्तेमाल को सीमित करने पर भी किसानों को मुश्किल झेलनी पड़ सकती है। इससे खेती की लागत भी बढ़ेगी। आपको बता दें कि नीदरलैंड में भी हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट पूरी तरह से प्रतिबंधित है।