
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार-पश्चिम बंगाल सीमा पर स्थित कटिहार जिले की सातों विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट हमेशा से अहम भूमिका निभाते रहे हैं। मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण अक्सर यह तय करता है कि कोई उम्मीदवार जीतता है या हारता है। यही वजह है कि चुनावी समीकरण पर इसका गहरा असर पड़ता है।
अब, एआईएमआईएम की ओर से प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान और राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हुसैन ने कटिहार जिले की सात में से पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। इस कदम से सबसे ज्यादा असर महागठबंधन पर पड़ने की संभावना है।
सीमांचल के चार जिलों में सबसे ज्यादा उम्मीदवार कटिहार जिले में उतारने की घोषणा हुई है। इनमें बलरामपुर, कदवा, मनिहारी, प्राणपुर और बरारी शामिल हैं। वहीं, एआईएमआईएम पूर्णिया से तीन, किशनगंज से चार और अररिया से दो उम्मीदवार मैदान में उतार रही है।
साल 2020 में बलरामपुर, मनिहारी और कदवा सीटों पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की थी, जबकि प्राणपुर सीट भाजपा ने केवल 1.5 प्रतिशत के अंतर से जीती थी। इस बार प्राणपुर में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने निषाद जाति के उम्मीदवार कुणाल निषाद उर्फ सोनू सिंह को उतार राजग के वोट शेयर को चुनौती दी है।
प्राणपुर विधानसभा: समीकरण में बदलाव
प्राणपुर में अब तीन ताकतें सामने हैं – राजग, महागठबंधन और एआईएमआईएम। यहां मुस्लिम और हिन्दू मतदाता लगभग 50-50 हैं। मल्हा और केवट जाति के वोट भी करीब 18 प्रतिशत हैं। ओवैसी और जनसुराज पार्टी की एंट्री से नतीजा किसी भी तरह से प्रभावित हो सकता है।
कदवा विधानसभा: महागठबंधन की चिंता बढ़ी
कदवा में ओवैसी की एंट्री महागठबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है। बारसोई में उनकी हाल की रैली में भारी भीड़ जमा हुई थी। 52-48 एच-एम वाले इस क्षेत्र में कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन बाहरी और स्थानीय विवाद अभी भी गर्म हैं। ओवैसी यहां महागठबंधन के रास्ते में रोड़ा बन सकते हैं।
बलरामपुर विधानसभा: त्रिकोणीय मुकाबला
बलरामपुर में मुस्लिम मतदाता 60 प्रतिशत और हिन्दू 40 प्रतिशत हैं। एआईएमआईएम के मैदान में आने से महागठबंधन की नींद उड़ी है। 2015 में भी ओवैसी ने उम्मीदवार उतारा था, लेकिन प्रभाव सीमित रहा। इस बार बदलते राजनीतिक माहौल में उनका असर ज्यादा महसूस हो सकता है।
मनिहारी विधानसभा: टेंशन बढ़ सकती है
मनिहारी में 60-40 एच-एम अनुपात है। पिछले चुनाव में ओवैसी का प्रभाव नहीं दिखा, लेकिन इस बार बदलते मतदाताओं के मनोभाव के बीच उनकी एंट्री महागठबंधन के लिए चिंता का कारण बन सकती है।
बरारी विधानसभा: वोट का नया समीकरण
बरारी में 68 प्रतिशत हिन्दू और 32 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। यहां मुस्लिम वोट महागठबंधन के पक्ष में रहे हैं, लेकिन ओवैसी के आने से वाई फैक्टर बदलने की संभावना है। 2020 में भी एआईएमआईएम की मौजूदगी ने राजद को नुकसान पहुंचाया था और जदयू जीत गई थी।