धर्म डेस्क. मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। यह एकादशी मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनाई जाती है। भगवान कृष्ण ने इस दिन महाभारत में अर्जुन को भगवद गीता का ज्ञान दिया था। विष्णु भगवान का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी दिन गीता जंयती भी मनाई जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर को मनाई जाएगी। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Mokshada Ekadashi सोमवार 13 दिसंबर को रात्रि 9 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर 14 दिसंबर को रात में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। अतः साधक 14 दिसंबर को दिनभर भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
प्राचीन काल में गोकुल में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे, एक रात उन्होंने सपने में देखा कि उनके पिता मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। उन्हें अपने पिता की ऐसी दशा देख कर बड़ा दुख हुआ। सबेरे ही उन्होंने अपने राज पुरोहित को बुलाया और पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। (Mokshada Ekadashi)
राज पुरोहित ने कहा कि इस समस्या का निवारण पर्वत नाम के महात्मा ही कर सकते हैं, क्योकिं वो त्रिकालदर्शी हैं। राजा तत्काल पर्वत महात्मा के आश्रम गए और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा, महात्मा पर्वत ने बताया कि उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में एक पाप किया था, जिसका पाप के कारण वो नर्क की यातनाएं भोग रहे हैं। (Mokshada Ekadashi)
नर्क की यातनाओं से मुक्ति के बारें में राजा ने महात्मा से पूछा, महात्मा बोले, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। आप मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करें। एकादशी के पुण्य प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी। महात्मा के वचनों के अनुसार राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन किया। मोक्षदा व्रत और पूजन के पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिली। उनकी मुक्त आत्मा ने राजा को आशीर्वाद दिया।