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So far only 74% of the money has been planted in Jharkhand due to less or more rain, this year there is a possibility of less production than the target. | कहीं कम तो कहीं ज्यादा बारिश से झारखंड में अब तक 74% ही धनरोपनी, इस साल लक्ष्य से कम पैदावार की आशं

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जमशेदपुर/बोकारो/हजारीबाग21 घंटे पहले

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फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

फाइल फोटो

  • संथाल में अधिक बारिश से बिचड़े बर्बाद तो पलामू प्रमंडल में कम बारिश के कारण रोपनी पर असर
  • सबसे ज्यादा जामताड़ा में 98% और चाईबासा में सबसे कम 33% रोपनी

झारखंड में समय पर मॉनसून आने के बाद भी अब तक 74.20% धनरोपनी ही हो सकी है। अगस्त बीतने को है और इस अवधि में धान की बुआई लक्ष्य से काफी पीछे है। इस कारण इस साल लक्ष्य से कम पैदावार होने की आशंका बढ़ गई है। संथाल परगना प्रमंडल में अधिक बारिश के कारण बिचड़े बर्बाद हो गए हैं तो पलामू प्रमंडल में औसत से कम बारिश का असर धनरोपनी पर पड़ा है। राज्य में सबसे ज्यादा 98.07% धान की बुआई जामताड़ा में हुई है। पश्चिम सिंहभूम सबसे पीछे है। यहां 33.17% ही धान रोपा जा सकता है।

कृषि विभाग के अनुसार, जून में औसत से ज्यादा बारिश हुई थी। इससे धान की बंपर पैदावार के आसार थे। इसके बाद जुलाई में 27 दिनाें तक सूखा रहा। इसका असर धान की बुआई पर पड़ा। अगस्त की बारिश ने किसानों में उम्मीद जगाई, लेकिन संथाल क्षेत्र में ज्यादा बारिश से खेत डूब गए और बिचड़े बर्बाद हो गए, वहीं पश्चिम सिंहभूम और पलामू प्रमंडल में औसत से कम बारिश के कारण निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप रोपनी नहीं हो सकी।

यहां 80% से कम राेपनी
जिला रोपनी%

पलामू 62.27
गढ़वा 70.0
खूंटी 71.0
लातेहार 63.33
प. सिंहभूम 33.17
सरायकेला 66.0
गिरिडीह 77.27

वजह

जून में अच्छी बारिश देख किसानों ने धान की बुआई शुरू कर दी थी। लेकिन जुलाई और अगस्त में कम आैर अनियमित बारिश हुई। इसका असर बुआई पर पड़ा। जिन किसानों ने देर से बुआई शुरू की थी, उनको परेशानी हुई।

यहां लक्ष्य के करीब धनरोपनी

जिला रोपनी%
गुमला 95.0
चतरा 95.17
सिमडेगा 88.68
रामगढ़ 80.95
लोहरदगा 88.90
हजारीबाग 85.0
कोडरमा 82.35
बोकारो 88.49
जामताड़ा 98.07
धनबाद 90.0

वजह

समय से बारिश होते रहने से खेतों की नमी बरकरार रही। किसान सही समय पर बुआई करते रहे। इससे रोपनी का प्रतिशत लक्ष्य की ओर बढ़ता गया।

ये लक्ष्य तक पहुंचकर पिछड़े

जिला रोपनी%
दुमका 100
साहेबगंज 96
गोड्‌डा 99

वजह

रोपनी लक्ष्य तक पहुंची, पर लगातार बारिश और बाढ़ के कारण बिचड़ों को क्षति।

एक्सपर्ट व्यू- अभी वक्त है, खेतों में जल जमाव हटाकर दोबारा रोपनी करें किसान

  • जहां खेत में जल जमाव हाे गया है, उसे तीन-चार दिनाें के भीतर निकाल देना चाहिए। अगर खेत में पानी लगातार लगा रहेगा ताे फसल काे नुकसान हाे सकता है। किसान भाइयों को रोपनी का बचे समय का लाभ उठाना चाहिए। जहां का बिचड़ा बह गया हाे, वहां पर दूसरे बिचड़े से पाैधा निकालकर खाली स्थान पर राेप देना चाहिए।
  • पलामू और पश्चिम सिंहभूम में भी अच्छी वर्षा हुई है। वहां करीब 75% राेपा हाेेने का अनुमान है, जाे 90% रकबा काे कवर करता है। करीब 18 लाख हेक्टेयर में से 17 लाख हेक्टेयर में राेपा हाे चुका है।
  • राज्य गठन के बाद पिछले साल सबसे ज्यादा 72 लाख टन धान की पैदावार हुई थी। इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि धान की अच्छी पैदावार हाेगी।

एक्सपर्ट- प्राेफेसर डीएन सिंह, कृषि वैज्ञानिक, बीएयू

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