
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आजकल युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे मुख्य वजहें हैं– खराब जीवनशैली, अनुचित खानपान और तनावभरा माहौल। लेकिन अच्छी बात यह है कि हमारा शरीर समय रहते हमें कुछ संकेत देने लगता है, जो यह बताते हैं कि दिल अब पहले जैसा मजबूत नहीं रहा।
समस्या तब गंभीर हो जाती है, जब लोग इन संकेतों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। अगर समय पर इन लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो दिल की सेहत को बचाया जा सकता है। आइए जानते हैं दिल कमजोर होने पर शरीर किन रूपों में संकेत देता है:
1. सीने में दर्द या दबाव:
यह सबसे सामान्य और खतरनाक लक्षणों में से एक है। सीने के बीचोंबीच, बाईं ओर या दाईं ओर दर्द हो सकता है। कभी-कभी यह गर्दन, कंधे या पीठ तक फैल जाता है। अगर ऐसा दर्द अचानक और तीव्र हो, तो यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है। तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
2. पैरों में सूजन:
अगर आपके पैरों, टखनों या पंजों में बार-बार या लगातार सूजन हो रही है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि दिल की पंपिंग कमजोर हो गई है। खराब ब्लड सर्कुलेशन के कारण शरीर के निचले हिस्सों में फ्लूइड जमा होने लगता है।
3. बार-बार थकान और सांस फूलना:
दिल ठीक से खून पंप नहीं कर पाता, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। इससे हल्की-फुल्की गतिविधियों में भी जल्दी थकावट और सांस फूलने की समस्या होती है।
4. जबड़े या गर्दन में दर्द:
कई बार दिल की समस्या का दर्द सीने की बजाय जबड़े या गर्दन तक फैलता है। खासकर महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान यह आम लक्षण होता है। अगर बिना किसी स्पष्ट वजह के जबड़े या गर्दन में दर्द हो रहा है, तो इसे हल्के में न लें।
5. पेट में भारीपन, जलन या दर्द:
पेट के ऊपरी हिस्से में जलन या भारीपन को अक्सर गैस या एसिडिटी समझ लिया जाता है, लेकिन यह भी हार्ट अटैक का एक छुपा हुआ लक्षण हो सकता है।
6. जी मचलना और उल्टी जैसा महसूस होना:
कुछ लोगों को दिल की समस्या के दौरान मितली, चक्कर या उल्टी जैसा अनुभव होता है। खासकर महिलाओं में यह लक्षण आम होता है, जिसे अक्सर गलतफहमी में नजरअंदाज कर दिया जाता है।
7. पैरों के पिंडलियों में दर्द:
अगर चलते समय या थोड़ी देर खड़े रहने पर काफ (पिंडलियों) में दर्द या ऐंठन हो रही है, तो यह पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में खून की धमनियों में रुकावट आने लगती है, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।