Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार दोपहर 2:56 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। सोमवार को पंच पूजा के अंतर्गत लक्ष्मी मंदिर में माता लक्ष्मी की विशेष पूजा हुई, जिसमें उन्हें कढ़ाई का प्रसाद अर्पित किया गया। इस दौरान भगवान नारायण की ओर से माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान होने का निमंत्रण दिया गया। यह परंपरागत और अत्यंत भावुक क्षण हजारों श्रद्धालुओं ने अपनी आँखों से देखा।
पंच पूजा के चौथे दिन रावल अमरनाथ नंबूदरी, लक्ष्मी मंदिर के पुजारीगण, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, प्रभारी धर्माधिकारी स्वयंबर सेमवाल और वेदपाठी रविंद्र भट्ट एवं अमित बंदोलिया ने विधि-विधान से पूजा सम्पन्न कराई।
रावल ने मान्यता के अनुसार माता लक्ष्मी को नारायण के सानिध्य में गर्भगृह आने का आमंत्रण दिया। यह धार्मिक परंपरा पंच पूजा का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। यात्रा काल के दौरान लक्ष्मी मंदिर में विराजित माता को कढ़ाई का प्रसाद अर्पित कर उनसे आग्रह किया गया कि वे शीतकाल में बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में नारायण प्रभु के साथ विराजमान रहें।
इसी के साथ कपाट बंद करने की तैयारियाँ भी तेज़ हो गईं। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने प्रबंधों का जायजा लिया। बताया गया कि इस वर्ष मंदिर को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। कपाट बंदी के अवसर पर विशिष्ठ अतिथियों का आगमन भी जारी है। भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री अजेय कुमार ने भी बदरीनाथ के दर्शन किए।
इस कार्यक्रम में बीकेटीसी उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, बीकेटीसी सदस्य महेंद्र शर्मा, धीरज पंचभैया, प्रह्लाद पुष्पवान, देवी प्रसाद देवली, राजेंद्र प्रसाद डिमरी, नीलम पुरी सहित कई अधिकारी और सदस्य मौजूद रहे।
आज दोपहर 2:56 बजे बंद होंगे कपाट
कपाट बंदी भक्तों के लिए भावुक समय होता है, जब वे नारायण के विग्रह से कुछ माह के लिए बिछड़ जाते हैं। 26 नवंबर को उद्धव जी, कुबेर जी और शंकराचार्य जी की गद्दी डोली पांडुकेश्वर पहुँचेगी।
कपाट बंदी से पहले रावल धारण करेंगे स्त्री वेश
मान्यता के अनुसार कपाट बंद होने से पहले रावल माता लक्ष्मी को गर्भगृह में स्थापित करते हैं। इस अनुष्ठान के दौरान उन्हें ‘लक्ष्मी की सहेली’ का रूप धारण करना पड़ता है। माता लक्ष्मी को घृतकंबल से ओढ़ाया जाएगा। यह घृतकंबल माणा गाँव की कुंवारी कन्याओं द्वारा स्थानीय बकरी की ऊन से बनाया जाता है। इसी के साथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।




