देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी ने सोमवार को वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन के क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ गया। देहरादून जू में वन मंत्री सुबोध उनियाल में एक बाघ बाड़े का उद्घाटन किया, जो प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव साबित होगा। जंगल के राजा, बाघ, अब देहरादून शहर के करीब होंगे, जहां पर्यटक उनकी दहाड़, चाल और स्वाभाविक व्यवहार को करीब से देख सकेंगे। यह पहल न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देगी, बल्कि उत्तराखंड को पर्यावरणीय पर्यटन का नया केंद्र बनाएगी।
इस अवसर पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि बाघ संरक्षण केवल वन्यजीवों को बचाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने और हमारी आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरणीय धरोहर सौंपने का एक प्रयास है। उन्होंने यह भी बताया कि यह बाड़ा केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) के निर्देशों और मानकों के अनुरूप बनाया गया है।
बाघ बाड़ा 20 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जो पर्यटकों को एक अद्वितीय अनुभव देगा। यह न केवल वन्यजीव संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड को देश और दुनिया में पर्यटन के एक नए केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
बाघों का स्वागत, एक रोमांचक जोड़
इस बाड़े में फिलहाल दो नर बाघों को रखा गया है। ये दोनों बाघ राज्य के विभिन्न हिस्सों से बचाए गए थे और पहले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखे गए थे। प्रथम बाघ- उम्र 6 वर्ष 9 माह। द्वितीय बाघ- उम्र 4 वर्ष 9 माह। इन बाघों को 26 फरवरी 2024 को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अनुमति के बाद देहरादून जू लाया गया था। अब ये बाघ पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण होंगे।
उत्तराखंड बाघों का घर
उत्तराखंड देश में बाघों की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है। बाघ संरक्षण की दिशा में यह कदम राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। देहरादून जू में बाघ बाड़े के खुलने से न केवल पर्यटक यहां आएंगे, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के प्रति जन जागरूकता भी बढ़ेगी।
आकर्षण और आर्थिक समृद्धि
देहरादून जू पहले से ही पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। बाघ बाड़े का जुड़ना इसे और अधिक आकर्षक बनाएगा। पर्यटकों को वन्यजीवों को करीब से देखने का अनूठा अवसर मिलेगा। देहरादून जू की आय और राज्य के पर्यटन उद्योग में वृद्धि होगी। स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी इस पहल से बल मिलेगा।
समारोह में वन और पर्यावरण विभाग के कई उच्चाधिकारी शामिल हुए, जिनमें प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण आरके सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला जैसे वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख थे।
वन मंत्री ने बाड़े का दौरा करते हुए कहा कि हमारी यह पहल वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए है। देहरादून जू का बाघ बाड़ा आने वाले समय में एक मॉडल परियोजना के रूप में उभरेगा। कार्यक्रम का समापन देहरादून जू के निदेशक और प्रभागीय वनाधिकारी नीरज कुमार द्वारा सभी अधिकारियों, मीडिया प्रतिनिधियों और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए हुआ। उन्होंने इसे उत्तराखंड के पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताया।
बाघ बाड़ा वन्यजीव प्रेमियों का नया ठिकाना
देहरादून जू का यह बाघ बाड़ा न केवल पर्यटकों को रोमांचक अनुभव प्रदान करेगा, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय शिक्षा का एक प्रेरणास्त्रोत भी बनेगा। यह पहल उत्तराखंड को पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। देहरादून जू में अब पर्यटक बाघों की शान, उनकी चाल और उनके प्राकृतिक व्यवहार को करीब से देख सकेंगे, जो हर किसी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।