डेस्क। सनातन संस्कृति में प्रकृति की अनेक रूपों में पूजा-अर्चना का विधान है। धर्मशास्त्रों में देवी-देवतों के साथ ही नदियों, पहाड़ों, समुद्र, जलाशयों एवं वृक्षों आदि की पूजा के भी विधान दिए हुए हैं। ज्योतिष ग्रन्थ बृहत् पराशर होरा शास्त्र में कुंए, तालाब आदि का निर्माण तथा पीपल, बरगद जैसे वृक्षों को लगाने और उनकी पूजा की विधियां दी गयी हैं। है। इसी तरह वास्तु शास्त्र में 27 नक्षत्रों के पौधों के नाम दिए गए है। अपने जन्म नक्षत्र या जन्म राशि के अनुसार पेड़ लगाने की परंपरा भारत में प्राचीन है।
वृहत् पराशर होरा शास्त्र में सभी ग्रहों के प्रभाव में आने वाले वृक्षों के विषय में जानकारी दी गयी है। इसके अनुसार सूर्य - दृढ़ काष्ट वृक्ष जैसे शीशम, शाल आदि, चंद्र - दूधवाले वाले पेड़ जैसे देवदार, कटहल आदि, मंगल - कांटेदार वृक्ष जैसे - बबूल, खैर, नीम आदि, बुध - बिना फल वाले वृक्ष, गुरु - सभी फल वाले वृक्ष, शुक्र - फूल वाले वृक्ष और शनि - बिना फल और फूल के नीरस वृक्ष। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में कमजोर ग्रह के अंतर्गत आने वाले वृक्ष लगाकर उसके बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र में सभी 27 नक्षत्रों के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक पेड़ या पौधे का नाम दिया गया है। यदि हम अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार पेड़ या पौधा लगते हैं तो इसका शुभ प्रभाव पूरे जीवन में मिलता है। अश्वनी से ले कर रेवती तक 27 नक्षत्रों के अंतर्गत निम्न पेड़-पौधे आते हैं - अश्वनी - अश्वथ, भारणी - मकरतरु, कृतिका - गूलर, रोहिणी - जामुन, मृगशिरा - खदिर (खैर), आर्द्र - कृष्ण वृक्ष, पुनर्वसु - पुनर्नवा, पुष्य - पीपल, अश्लेषा - नागवृक्ष, मघा - वट वृक्ष (बरगद ), पूर्वाफाल्गुनी - पलाश , उत्तरफाल्गुनी - पाकड, हस्त - अरिष्ट वृक्ष, चित्रा - श्रीवृक्ष , स्वाति - अर्जुन , विशाखा - विवेक, अनुराधा- वकुल (मौल सेरी), ज्येष्ठा - अशोक, मूल - सर्व वृक्ष (सभी पेड़), पूर्वाषाढ़ा - जामुन, उत्तराषाढ़ा - कटहल, श्रवण - अर्कवृक्ष, धनिष्ठा - शमी, शतभिषा - कदम, पूर्वाषाढ़ा - आम, उत्तराभाद्रपदा- महूक, रेवती - मधु वृक्ष - (मंडूक)।
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र और पुराणों में ग्रह शांति, पितरों और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अनेक प्रकार के पेड़-पौधे लगाने की विधि दी गयी है। इन ग्रंथों में पेड़-पौधे लगाने से आयु, बल, यश , संतान सुख , परलोक में पुण्य आदि की प्राप्ति का उल्लेख है। आषाढ़ के महीने में पीपल, बरगद, नीम, आवला, अशोक, तुलसी, बेल, पलाश आदि पेड़ लगाने से भगवान विष्णु, लक्ष्मी जी और अन्य देवी-देवता प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं।