
हिंदू धर्म में अनुसार एकादशी व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा उपासना की जाती है। एकादशी व्रत महीने में 15 दिन में एक बार आता है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है। एकादशी के दिन व्यक्ति को चावल का सेवन नही करना चाहिए।
उत्पन्ना एकादशी की तिथि
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी 30 नवम्बर मंगलवार को प्रातः 04:14 से रात्रि 02:13 तक एकादशी की तिथि रहेगी। 30 नवम्बर को मंगलवार को एकादशी व्रत उपवास रखा जायेगा, एकादशी व्रत करने वाले लोग पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।
एकादशी के व्रत की पूजा विधि
एकादशी के दिन दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें और विष्णु सहस्त्र नाम गुरुमंत्र का जप कर लें। भगवान श्रीविष्णु की पूजा पीले पुष्प, पीले फल, धूप, दीप तुलसी दल से करें। अंत में आरती-अर्चना कर पूजा संपन्न करें। दिनभर निराहार व्रत करें। व्रती चाहे तो दिन एक एक बार जल और एक फल का सेवन कर सकते हैं। संध्याकाल में आरती अर्चना करने के पश्चात फलाहार करें।