Uttarakhand news: प्रवासी उत्तराखंडी गांवों को संवारने के लिए आगे आए, बोले सीएम धामी

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर शुरू हुए "गांव को गोद लें" (एडॉप्ट ए विलेज) कार्यक्रम में विदेशों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों ने विशेष रुचि दिखाई है। कई प्रवासियों ने अपने-अपने गांव चिन्हित कर राज्य सरकार को विकास का रोडमैप प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि प्रवासियों के इस सहयोग से गांवों का सर्वांगीण विकास होगा और यह दूसरे प्रवासियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

चीन निवासी देव रतूड़ी ने टिहरी जिले में सुनार गांव और कमैरा सौड़ गांव में सोलर लाइट लगाने, युवाओं को चीन की होटल इंडस्ट्री में रोजगार प्राप्त और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने की इच्छा जाहिर करते हुए, प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है।

अमेरिका निवासी शैलेश उप्रेती ने अल्मोड़ा के मनान गांव में अपनी कंपनी का इंडिया कॉरपोरेट ऑफिस और एनर्जी स्टोरेज सेंटर खोलने का कार्य प्रारंभ कर दिया है।

यूएई में रहने वाले टिहरी के मूल निवासी विनोद जेठूड़ी ने उत्तरकाशी के सीमांत ओसला गांव में स्किल ट्रेनिंग शुरू करने की योजना बनाई है। वहीं, पिथौरागढ़ के गिरीश पंत ने बजेट और बरसायत गांवों में शिक्षा और कंप्यूटर शिक्षा के साथ स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने का प्रस्ताव दिया है।

पौड़ी जिले के निवासी डॉ. एके काला, थाईलैंड में उद्यमी हैं, उन्होंने पौड़ी जिले के किसी एक गांव के मेधावी छात्रों की शिक्षा में मदद करने की इच्छा जाहिर है। जबकि वर्तमान में ब्रिटेन में निवासरत, नैनीताल जिले की नीरू अधिकारी ने नौकुचियाल के निकट एक्वा टोक में किवी उत्पादन, ध्यान योग केंद्र की स्थापना के साथ ही देहरादून जिले के सभावाला गांव कौशल विकास का प्रशिक्षण देने की योजना प्रस्तुत की है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रवासी उत्तराखंडियों ने ‘गांव को गोद लें’,कार्यक्रम में रुचि दिखाते हुए, अपने प्रस्ताव सरकार के सामने प्रस्तुत किए हैं। चिन्हित गांवों के लिए प्रवासियों के सुझाव पर विस्तृत विकास योजना बनाई जा रही है। उक्त गांव, विकास के रोल मॉडल बनते हुए, दूसरे प्रवासियों के लिए भी प्रेरणा का काम करेंगे।

क्या है गांव को गोद लें कार्यक्रम:

योजना का उद्देश्य प्रवासी उत्तराखंडियों की विशेषज्ञता, अनुभव और वित्तीय सहायता से गांव का सर्वागींण विकास करना है। यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से स्वैच्छिक है, प्रवासीजन अपने या किसी भी गांव का चयन इसके लिए कर सकते हैं। राज्य सरकार प्रवासियों के साथ चर्चा कर आपसी सहमति के आधार पर गांव के विकास के लिए आरम्भिक 2-3 वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार करती है। इसके लिए प्रवासियों एवं स्थानीय प्रशासन के मध्य एमओयू भी सम्पादित किया जाने का प्रावधान है। प्रवासियों द्वारा चिह्नित गांव में शिक्षा, इंटरनेट कनैक्टिविटी, छात्रवृत्ति, उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने जैसे कार्य किए जा सकते हैं। निर्माण गतिविधियाँ केवल अपरिहार्य एवं आवश्यक परिस्थितियों में ही किए जाने का प्रावधान है। जिलाधिकारी चिह्नित गांव में चल रहे कार्यक्रमों की निगरानी करते हुए, इसे मॉडल गांव के तौर पर विकसित करेंगे।    

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