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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : दिल्ली बम धमाकों की जाँच कर रही एटीएस और एनआईए को एक बड़ी कामयाबी मिली है। उनके द्वारा शुरू किए गए "सफेदपोश" आतंकी नेटवर्क की जाँच अब खुलने लगी है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए डॉ. शाहीन सईद, डॉ. आरिफ और डॉ. मुजम्मिल के बीच गहरे संबंध उजागर हुए हैं।

सूत्रों के मुताबिक, फोरेंसिक जाँच में तीनों के बीच 39 वॉयस कॉल, 43 व्हाट्सएप कॉल और 200 से ज़्यादा मैसेज मिले हैं। इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि तीनों लंबे समय से संपर्क में थे और बम धमाके की साज़िश रचने के बाद भी लगातार संपर्क में थे। एजेंसियों ने 25 डिलीट किए गए मैसेज भी बरामद किए हैं, जिनमें साज़िश की गहराई से जुड़े अहम राज़ छिपे होने की संभावना है।

आरिफ भागने की तैयारी में था। 
कानपुर के अशोक नगर स्थित उसके फ्लैट से गिरफ्तार किए गए डॉ. आरिफ के कमरे से एजेंसियों को पैक्ड बैग, कपड़े और ज़रूरी सामान मिला। इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि वह गिरफ्तारी से पहले ही शहर छोड़ने की फिराक में था। सूत्रों का कहना है कि जैसे ही आरिफ को फरीदाबाद में डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी की खबर मिली, उसने अपनी बारी आते देख भागने की तैयारी शुरू कर दी। सुरक्षा एजेंसियों ने समय रहते उसे धर दबोचा।

तलाशी के दौरान, एजेंसियों ने आरिफ के पास से दो आईफोन और एक कीपैड फोन जब्त किया। उसने 27 अक्टूबर को एक नया आईफोन खरीदा था। जाँच से पता चला है कि उसने पुराने कॉन्टैक्ट्स और डिजिटल ट्रैकिंग से बचने के लिए नया फोन खरीदा था। उसके लैपटॉप से ​​कई संदिग्ध फाइलें, दस्तावेज, नक्शे और चैट लॉग भी बरामद हुए हैं। तकनीकी जाँच जारी है।

इस नेटवर्क की जड़ें चमनगंज और बेकनगंज तक फैली हुई हैं। 
खुफिया एजेंसियां ​​अब कानपुर के चमनगंज और बेकनगंज इलाकों की जाँच कर रही हैं। सूत्र बताते हैं कि शाहीन के भाई डॉ. परवेज़ और उसके रिश्तेदारों की इन इलाकों में मज़बूत पकड़ है। बताया जा रहा है कि ये लोग धार्मिक आयोजनों में सक्रिय रहते हैं, जहाँ बड़ी संख्या में बाहरी लोग भी आते हैं। एजेंसियां ​​अब इन बाहरी लोगों की पहचान कर उनकी पृष्ठभूमि की जाँच कर रही हैं।

आतंकवाद में पढ़े-लिखे डॉक्टरों की संलिप्तता चिंता का विषय है। 
यह मामला इसलिए और भी गंभीर है क्योंकि इसमें डॉक्टर जैसे पढ़े-लिखे पेशेवर शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह एक सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल है, जो साधारण दिखने वाले लोगों की आड़ में बड़ी साजिशें रच रहा है। आईएमए ने आतंकी डॉ. शाहीन की सदस्यता समाप्त कर दी है। इस बीच, कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में लगी सफेद पट्टी वाली पट्टिका से शाहीन सईद का नाम हटा दिया गया है।

2,000 मेडिकल छात्रों के दस्तावेज़ों की जाँच:
जाँच एजेंसियों ने अब तक 2,000 से ज़्यादा मेडिकल छात्रों के दस्तावेज़ों की जाँच की है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हो सकता है। एटीएस और अन्य जाँच एजेंसियाँ डॉ. आरिफ़ से लगातार पूछताछ कर रही हैं। मुख्य ध्यान फंडिंग, विदेशी संपर्कों, प्रशिक्षण और नेटवर्क के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाने पर है। अधिकारियों का कहना है कि यह मॉड्यूल उत्तर भारत में आतंकवाद के लिए एक नया ख़तरा बन सकता था, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा समय रहते पकड़ लिया गया।