साइंस ने एक बार फिर कारनामा कर दिखाया है। इससे बकरी पालन के क्षेत्र में क्रांति लाने में सहायता मिलेगी। फ्रोजेन (जमे हुए) स्पर्म की सहायता से बकरी को प्रेग्नेंट किया गया है. इस प्रोजेक्ट के प्रभारी डॉ. योगेश कुमार सोनी के अनुसार, ‘दूरबीन तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान बकरियों और भेड़ों में इस्तेमाल की जाने वाली एक नई तकनीक है। इस कामयाबी के बाद बकरी पालन के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी।
साइंटिस्टों का दावा है कि यह संस्थान की पहली बड़ी सफलता है। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल जन्म दे रहे मेमनों और बकरियों दोनों ही पूरी तरह स्वस्थ हैं. दोनों की स्थिति पर निरंतर नजर रखी जा रही है। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से बकरी पालन के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति हो सकती है।
कृषि अनुसंधान परिषद की सहायक शाखा केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक पुष्पेंद्र शर्मा ने कहा कि छह जुलाई को ‘लैप्रोस्कोपिक’ विधि के जरिए बकरी का गर्भाधान किया गया था। सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन बकरियों के वैज्ञानिकों ने एक बकरी के जमे हुए शुक्राणु की मदद से लैप्रोस्कोपिक तकनीक के जरिए कृत्रिम गर्भाधान (गर्भवती) कर भेड़ को जन्म देने में सफलता हासिल की है। इससे बकरी पालन में विकास को और गति मिलेगी।