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हरित भारत के प्राथमिक प्रतिपाद्य के रूप में सिडबी ने स्वावलंबन चैलेंज फंड के दूसरे गवाक्ष का शुभारंभ किया

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देहरादून। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास में संलग्न शीर्ष वित्तीय संस्थान, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने स्वावलंबन चैलेंज फंड (एससीएफ) के दूसरे गवाक्ष का शुभारंभ किया है। इसका उद्देश्य लाभ का लक्ष्य न रखने वाले संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों,सामाजिक स्टार्टअप को विकासात्मक अंतरालों को पाटने के लिए वित्तीय समर्थन प्रदान करना है। इसके माध्यम से हरित, स्वच्छ, कुशल जलवायु परिवर्तन को समर्थन देने वाली नवीन परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। स्थायी आजीविका, वित्तीय समावेशन व वित्तीय सेवाओं तक पहुंच और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना इसके अन्य प्रतिपाद्य विषय हैं।

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स्वावलंबन चैलेंज फंड (एससीएफ) के दूसरे गवाक्ष का शुभारंभ करते हुए सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सिवसुब्रमणियन रमण, आईए एंड एएस ने कहा, “मुझे स्वावलंबन चैलेंज फ़ंड के दूसरे गवाक्ष के शुभारंभ की घोषणा करते हुए प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इसका उद्देश्य प्रभावोन्मुख प्रस्तावों को समर्थन प्रदान करना है ताकि विकासात्मक चुनौतियों का समाधान किया जा सके। यह पहल, फ़ॉरेन, कॉमनवैल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस (एफसीडीओ यूके) के साथ साझेदारी में कार्यान्वित हमारी स्वावलंबन संसाधन सुविधा का एक भाग है।

दूसरे गवाक्ष का प्रतिपाद्य हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि और वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए पक्षों के 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 26) में तय की गई प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हैं। इस संस्करण के प्रतिपाद्य में देश में कार्बन की पद-छाप को घटाने के लिए जलवायु परिवर्तन, शमन और अनुकूलन उपायों, पुनर्चक्रण, पुनः उपयोग, पुनः डिज़ाइन के माध्यम से पर्यावरण के अनुकूल, अपशिष्ट में कमी करने वाली प्रथाओं और समाधानों की पेशकश के साथ हरित पहल पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

एससीएफ बास्केट के अंतर्गत अन्य अनुक्रियाशील प्रतिपाद्यों में वित्तीय समावेशन, स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना और नवोन्मेषी उद्यम समाधान सम्मिलित हैं। हम अखिल भारतीय स्तर पर नवोन्मेषी प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं जो आत्मनिर्भर भारत और भारत की विकास गाथा में बतौर विकार्बनीकरण योगदान कर सकते हैं। हरित भारत का पदार्पण हो रहा है और हम हर उस अभिनव समाधान के साथ चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो इसे और अधिक हरित और समृद्ध बनाता है।’

एससीएफ विकास चुनौतियों के लिए जनसामान्य से नवोन्मेषी और परिणाम आधारित समाधानों के स्रोतीकरण करने वाला एक प्रतिस्पर्धी तंत्र है। सिडबी ने लाभ का लक्ष्य न रखने वाले उन संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक स्टार्ट-अप इकाईयों को समर्थन देने के लिए इस मंच का शुभारंभ किया है, जो जीवन को प्रभावित करने के लिए नवाचार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अपनी क्षमता में विश्वास रखते हैं। एससीएफ के पहले दस्ते को लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध ऐसे उत्साही और जोशीले संचालकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया और समर्थन मिला है।

सिडबी, एससीएफ का एकमात्र सूत्रधार है जो समाज की बेहतरी के उद्देश्य से नवोन्मेषी विचारों के क्रियान्वयन हेतु निधि देने के लिए पूरी तरह से डिजिटल प्रतिस्पर्धी चुनौती की परिकल्पना करता है। सिडबी द्वारा एफसीडीओ यूके के सहयोग से एससीएफ का आकल्पन, संचालन और निगरानी की जाती है। प्रायोगिक परियोजना (20 लाख रुपये की ऊपरी सीमा) और विस्तार (35 लाख रुपये तक) की पहल करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

स्थानीय/राज्य या केंद्र सरकार के कार्यक्रम के साथ डिजिटलीकरण, स्थिरता और अधिकतम अभिसरण इसका एक समावेशी प्रतिपाद्य होगा, जिसे मूल्यांकन के दौरान वरीयता दी जाएगी। क्रेडिट कनेक्ट, रोजगार सृजन और उद्यम स्थापना को भी प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही साथ सामुदायिक भागीदारी और प्रभावकरीता को प्राथमिकता दी जाएगी।

1990 में अपने गठन के बाद से सिडबी अपने एकीकृत, अभिनव और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से समाज के विभिन्न स्तरों पर नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। सिडबी ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न ऋण और विकासात्मक उपायों के माध्यम से सूक्ष्म और लघु उद्यमियों (एमएसई) के जीवन को छुआ है, चाहे ये पारंपरिक व घरेलू छोटे उद्यमी हों, उद्यमिता पिरामिड के निम्नतम स्तर के उद्यमी हों अथवा उच्चतम स्तर के ज्ञान-आधारित उद्यमी हों। सिडबी 2.0 अपने साथ समावेशी, अभिनव और प्रभाव-उन्मुख संबद्धताओं की दृष्टि को लेकर चल रहा है।

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