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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड भाजपा की कमान एक बार फिर महेंद्र भट्ट के हाथों में सौंप दी गई है। भाजपा हाईकमान ने उन्हें दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक मजबूत राजनीतिक संकेत दिया है। इससे न केवल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भट्ट की जुगलबंदी पर मुहर लगी है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी का भी शंखनाद हो गया है।

भाजपा नेतृत्व ने इस फैसले से स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में कार्य की सराहना की जाती है और जो बेहतर करेगा, उसे सम्मान मिलेगा। महेंद्र भट्ट ने पिछले कार्यकाल में पार्टी को पंचायत, नगर निकाय और उपचुनावों में अच्छी सफलता दिलाई थी। यही नहीं, बतौर राज्यसभा सांसद वे राज्य के मुद्दे संसद में मजबूती से उठाते रहे हैं।

2022 में उन्हें बदली हुई परिस्थितियों में अध्यक्ष बनाया गया था। अब उनकी दोबारा नियुक्ति यह दर्शाती है कि पार्टी नेतृत्व उन पर विश्वास करता है। इसके अलावा, यह नियुक्ति पार्टी के उस पुराने संतुलन सिद्धांत के अनुरूप भी है जिसमें मुख्यमंत्री कुमाऊं से हों तो अध्यक्ष गढ़वाल से और मुख्यमंत्री राजपूत हो तो अध्यक्ष ब्राह्मण होना चाहिए। इस खांचे में भट्ट पूरी तरह फिट बैठते हैं।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री धामी भी भट्ट को अपनी पसंद मानते हैं, और हाईकमान ने इस पर सहमति जताकर एक सकारात्मक संदेश दिया है।

भट्ट के नामांकन में कई वरिष्ठ नेताओं ने प्रस्तावक बनकर समर्थन दिया, जिसमें अजेय कुमार, रमेश पोखरियाल 'निशंक', नरेश बंसल, माला राज्यलक्ष्मी शाह, सतपाल महाराज, गणेश जोशी जैसे दिग्गज शामिल रहे। इससे भट्ट की पार्टी में मजबूत पकड़ भी सामने आई।

इस मौके पर भाजपा की राष्ट्रीय परिषद सदस्य पद के लिए भी आठ नामांकन हुए, जिनमें धन सिंह रावत, अजय टम्टा, रमेश पोखरियाल 'निशंक', त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत जैसे नेता शामिल हैं। नामांकन प्रक्रिया पूरी तरह निर्विरोध और शांतिपूर्ण रही।

पार्टी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने भट्ट को शुभकामनाएं दीं और उनके फिर से अध्यक्ष बनने को संगठन के लिए शुभ संकेत बताया। अब भाजपा पूरी तरह मिशन 2027 की ओर बढ़ रही है, जिसमें मुख्यमंत्री धामी और अध्यक्ष भट्ट की जोड़ी अहम भूमिका निभाएगी।