देहरादून। दीपावली पर गर्भवतियाें काे कुछ खास सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। गर्भवती और उसके पेट में पल रहे बच्चें पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण काे लेकर तमाम शंकाएं बनी रहती है। इस संबंध हिन्दुस्थान समाचार ने राष्ट्रपति से सम्मानित संजय आर्थोपीड़िक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाॅ. सुजाता संजय से बातचीत की।
डाॅ. सुजाता के अनुसार पटाखों से निकलने वाला धुआं, धमाके की आवाज और कठोर रसायन गर्भवतियाें के लिए हानिकारक होते हैं। साथ ही ये भ्रूण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। दीपावली के दिन अगर आपके घर में कोई महिला गर्भवती है तो खास ख्याल रखना चाहिए, जिससे उन्हें या फिर उनके पेट में पल रहे शिशु को कोई तकलीफ ना हो। डाॅ. सुजाता संजय ने बताया कि दिवाली के जश्न के दौरान छोटी-सी लापरवाही गर्भवतियाें काे जोखिम में डाल सकती है।
डाॅ. सुजाता ने बताया कि गर्भवती को पटाखों से फैले प्रदूषण से भी बच कर रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है। पटाखों से निकलने वाले धुऐं में काफी अधिक मात्रा मेें कार्बन डाइआॅक्साइड और नाइट्रस आॅक्साइड होता है। ऐसे में इन रसायनों के सीधे संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे बच्चे और मां दोनों को खतरा हो सकता है। यह हानिकारक गैस भ्रूण के प्लेसेंटा से हो कर गुजरे तो गर्भ में पल रहे बच्चे को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाता। यह भ्रूण के विकास में रुकावट का कारण भी बन सकता है। उन्हाेंने बताया कि इस रात सिल्क या सिनथेटिक साड़ी पहनने कि बजाए कोई ऐसा कपड़ा पहनें, जिसमें आप खुद को आरामदायक महसूस करती हों। बढ़ियां होगा कि आप काॅटन का कपड़ा पहनें और पटाखों से दूरी बनाएं। हो सकता है कि आप हर वर्ष हल्के पटाखें छुड़ा लेती थीं, मगर अब आप प्रेगनेंट हैं इसलिए इनसे दूरी बनाएं रखें। इसके अलावा पटाखों का शोर भी प्रेगनेंट महिला के लिए खतरनाक होता है क्योंकि कान बहुत संवेदनशील हो जाते हैं।
डाॅ. सुजाता संजय ने बताया कि गर्भवतियाें को ज्यादा मीठा और तला हुआ खाना नहीं खाना चाहिए। इससे आपको एसिडिटी और सीने में जलन हो सकती है। इसके अलावा आप कम खाएं और समय पर खाएं। दीवाली पर बाहर का खाना ना खाएं और शराब से भी दूर रहें। मेहमानों के आने पर चाय-कॉफी की जगह नींबू पानी, फ्रूट जूस या मिल्क शेक बनाएं। उन्होंने कहा कि व्यस्तता में भी भोजन के प्रति लापरवाही न करें, एक से दो घंटे के अंतराल पर पौष्टिक आहार लेना चाहिए और संभव हो तो हर घंटे में पानी पीते रहना चाहिए। ऐसा करने से चक्कर आने की समस्या, बेहोशी और सुस्ती से आप खुद को बचा सकती है।
उन्हाेंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहकर सुरक्षित दिवाली का आनंद उठाना चाहिए। दीवाली से पहले हर कोई घर में सफेदी या पेंट करवाने से अस्थमा अटैक ट्रिगर हो सकता है और ये मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं है। इसलिए घर में सफेदी के समय गर्भवतियाें काे उससे बचना चाहिए।
डाॅ. सुजाता संजय ने गर्भवतियाें काे सलाह देते हुए कहा है कि घर का काम करते हुए गर्भवतियाें को सचेत रहना चाहिए। घर की सफाई करते वक्त आपको स्टूल पर नहीं खड़े होना है और ना ही साबुन के घोल का प्रयोग करना है। रिस्की करने से बचना चाहिए। यदि आपको अत्यधिक थकावट, पेट में मरोड़ या अत्यधिक मिचली हो तो तुरंत अपनी डाॅक्टर से सलाह लें।