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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है, जो सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों की रचना की और उनकी रक्षा व पालन-पोषण के लिए 14 रूपों में प्रकट हुए। इस दिन उनके अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन अनंत सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं। अनंत सूत्र की 14 गांठें भूलोक, भुवलोक, स्वलोक, महलोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सातल, रस्तल, तलतल, महातल और पाताल लोक का प्रतीक हैं।

अनंत चतुर्दशी के दिन दाहिने हाथ पर 14 गांठों वाला धागा बांधा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति 14 वर्षों तक अनंत चतुर्दशी का व्रत रखता है और इस धागे को बांधता है, उसे वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। अनंत सूत्र को बांधने से पहले उसमें 14 गांठें लगाएं और पूजा में भगवान विष्णु को अर्पित करें। फिर ॐ अनंताय नमः या अनंत सागर महासमुद्रे मैग्नासंभ्युधर वासुदेव। अनन्तरूपा विनयोजना नात्महयन्तरूपाय नमो नमस्ते। इस मंत्र का जाप करते समय इसे अपने हाथ पर बांध लें। अगले दिन इस धागे को नदी में प्रवाहित कर दें। ध्यान रहे कि इसे बांधने के बाद तन और मन की पवित्रता बनाए रखें, अन्यथा इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।