
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सीआरपीसी की धारा 482 (अब बीएनएसएस की धारा 528) के तहत दाखिल याचिका पर महत्वपूर्ण विधिक प्रश्न उठाते हुए इसे नौ जजों की वृहद पीठ को भेजने की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने यह आदेश चित्रकूट निवासी शशांक गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
प्रमुख सवाल यह है कि क्या उच्च न्यायालय को एफआईआर (प्राथमिकी) को रद्द करने की शक्ति केवल अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका में ही प्राप्त है, या धारा 482 के अंतर्गत भी इसका उपयोग किया जा सकता है। सरकारी अधिवक्ता ने 482 के तहत अधिकारिता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के राम लाल यादव केस का हवाला दिया, जबकि याची के वकील ने भजन लाल केस और अन्य निर्णयों का हवाला देते हुए 482 में एफआईआर रद्द करने की वैधता का समर्थन किया।
इस विवाद को हल करने के लिए मामला अब नौ न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो तय करेगी कि धारा 482 में एफआईआर रद्द करने की शक्ति है या नहीं।