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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : जौनसार-बावर के प्रसिद्ध दसऊ मंदिर में विराजमान छत्रधारी चालदा महासू महाराज अपनी अगली ऐतिहासिक यात्रा हिमाचल प्रदेश के पश्मी क्षेत्र के लिए रवाना हो गए हैं। यह दिव्य प्रवास हर बार की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भावनाओं का अद्भुत संगम बन गया है।

हिमाचल के पश्मी और द्राबिल गांवों से करीब साढ़े तीन सौ ग्रामीण देवता को अपने गांव ले जाने के लिए दसऊ पहुंचे। यहां दसऊ-पसगांव के लोगों ने उनका पारंपरिक ढंग से गर्मजोशी से स्वागत किया।

छत्रधारी चालदा महासू महाराज की यह यात्रा कुल छह दिनों तक चलेगी। छह रात्रियों के पड़ाव के बाद सातवें दिन देवता सिरमौर जिले के पश्मी गांव स्थित नए भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे।

चारों महासू भाइयों में सबसे छोटे माने जाने वाले चालदा महासू महाराज भ्रमणप्रिय देवता हैं। टोंस नदी पार सिरमौर की यह उनकी पहली यात्रा है, इसलिए सिरमौर के लोगों में इस प्रवास को लेकर उत्साह चरम पर है। यह क्षण उनके लिए सदियों का इंतजार और अपार सौभाग्य का अवसर है।

सोमवार को शुभ मुहूर्त में जब देवता गर्भगृह से बाहर आए तो भक्तों का समुद्र उमड़ पड़ा। हर कोई अपने आराध्य का दर्शन करने के लिए व्याकुल दिखा और श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामनाएं देवता के समक्ष रखीं।

दसऊ में भावुकता, सिरमौर में खुशी

जैसे ही देवता की प्रवास यात्रा शुरू हुई, दसऊ पहुंचे कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। महिलाएं अपने आराध्य को सिरमौर की यात्रा पर जाते हुए देखकर भावुक हो उठीं। जबकि दूसरी ओर सिरमौर में उनके आगमन को लेकर उत्साह और खुशी का माहौल है।

देवता 8 दिसंबर को दसऊ में विश्राम करेंगे, 10 दिसंबर को सीताराम चौहान भूपऊ, 11 दिसंबर को म्यार खेड़ा, 12 दिसंबर को सावड़ा में बुरायला-जगथान की बागड़ी होगी। 13 दिसंबर को द्राबिल (हिमाचल) में बागड़ी के बाद, 14 दिसंबर को पश्मी मंदिर में एक वर्ष तक विराजमान होंगे।

शांठीबिल और पांशीबिल के आराध्य छत्रधारी चालदा महासू महाराज के इस भव्य प्रवास में करीब तीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।

देवस्वागत में फूल-मालाएं

दसऊ गांव के मुख्य द्वार पर ग्रामीण फूल-मालाओं के साथ खड़े होकर झोझोडियो और हिमाचल से आए तीन सौ से अधिक श्रद्धालुओं का स्वागत करने पहुंचे। इस ऐतिहासिक यात्रा ने पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक उत्सव के रंग में रंग दिया।