
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : जातीय जनगणना को लेकर उठ रहे सवालों पर भाजपा ने कांग्रेस को करारा जवाब दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने साफ कहा कि केंद्र सरकार की ओर से 30 अप्रैल, 4 जून और 15 जून को जारी अधिसूचनाओं में जातीय गणना का स्पष्ट उल्लेख है।
डॉ. त्रिवेदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बार-बार तथ्यों को नजरअंदाज कर रही है और जानबूझकर जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य समाज को बांटना और सत्ता अपने परिवार के हाथ में रखना है, जबकि मोदी सरकार सभी जातियों को बराबरी का हक और सम्मान देने के उद्देश्य से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए काका कालेलकर और मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं होने दिया। अब वही कांग्रेस जातीय गणना पर सवाल उठा रही है। त्रिवेदी ने साफ किया कि जातीय जनगणना की अधिसूचना सिर्फ केंद्र सरकार ही जारी कर सकती है, राज्य सरकारें केवल सर्वेक्षण करा सकती हैं, जैसे तेलंगाना में हुआ।
तेलंगाना सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वहां के मुख्यमंत्री खुद कह रहे हैं कि उनके पास कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन नहीं है। हिमाचल, कर्नाटक और अब तेलंगाना – कांग्रेस शासित राज्यों में एक जैसे हालात बनते जा रहे हैं।
सुधांशु त्रिवेदी ने यह भी पूछा कि 2014 में जब मनमोहन सिंह सरकार ने इस्तीफा दिया, तब कैबिनेट में कितने ओबीसी मंत्री थे? साथ ही लालू प्रसाद यादव और अखिलेश यादव से भी सवाल किया कि क्या उन्होंने अपनी ही जाति के अन्य लोगों को सत्ता में कोई भागीदारी दी? उन्होंने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा तो केवल परिवार के सदस्यों को ही आगे बढ़ाया – पत्नी, बेटा, बेटी और साला।
मुलायम सिंह यादव के संदर्भ में भी उन्होंने कहा कि सत्ता की बात आते ही केवल बेटा ही नजर आया, भाई नहीं। समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सपा ने एक ओर तो मायावती पर राजनीतिक हमले किए, वहीं दूसरी ओर सरकारी पदोन्नति में आरक्षण को भी खत्म किया।
अंत में, डॉ. त्रिवेदी ने लालू प्रसाद यादव द्वारा डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर को कथित रूप से पैरों के पास रखने को 'वीभत्स और दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और उनसे सार्वजनिक माफी की मांग भी की।