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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार की राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य इलाकों में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए सोमवार से आईजीआईएमएस (IGIMS) में फिर से RT-PCR जांच शुरू कर दी गई है। इस बारे में जानकारी संस्थान की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. नम्रता कुमारी ने दी।

उन्होंने बताया कि IGIMS देश के उन चुनिंदा संस्थानों में शामिल है, जहां कोरोना के नए वेरिएंट्स की पहचान के लिए जीनोमिक सीक्वेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है। महामारी के पहले चरणों में यही लैब बिहार और झारखंड में एकमात्र मान्यता प्राप्त केंद्र थी, जिसने कोविड पॉजिटिव नमूनों की सफलतापूर्वक जीनोटाइपिंग की थी। इन डेटा को राष्ट्रीय बायोलॉजिकल डाटा सेंटर (फरीदाबाद) में दर्ज किया गया, जिससे संक्रमण की निगरानी में काफी मदद मिली।

हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों से कोरोना के दो नए वेरिएंट — NB.1.8.1 और LF.7 — सामने आए हैं। इनकी संक्रामकता और बीमारी की गंभीरता पर अध्ययन जारी है, लेकिन अब तक की जानकारी के अनुसार इनमें किसी गंभीर खतरे का संकेत नहीं मिला है।

ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक अभी स्थिति नियंत्रण में है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है। बिहार सरकार और IGIMS की विशेषज्ञ टीमें स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

डॉ. नम्रता ने यह भी बताया कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति की सांस की बूंदों और नजदीकी संपर्क से फैलता है। खराब वेंटिलेशन वाले बंद स्थानों में यह एयरबोर्न भी हो सकता है। इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, गले में खराश, खांसी, थकावट, बदन दर्द, दस्त या सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं।

अधिकतर मामलों में संक्रमण हल्का रहता है, लेकिन बुजुर्गों और पहले से बीमार व्यक्तियों में इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में सभी को मास्क पहनना, हाथ धोते रहना, सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करना और भीड़भाड़ वाली जगहों से बचना जैसे कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाना चाहिए।