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उत्तराखंड में डेंगू का कहर, तेजी के साथ बढ़ रहे संक्रमित मरीज, धामी सरकार अलर्ट मोड पर, यूपी के इन जिलों में भी हालात काबू में नहीं

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(डेंगू से रहें सतर्क)

डेंगू को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत हैं। डेंगू का डंक जानलेवा है। देश में हर साल सितंबर महीने में ही डेंगू अधिक फैलता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली-एनसीआर में डेंगू कहर बरपा रहा है। उत्तराखंड में पिछले एक महीने से लगातार डेंगू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश में 2 हजार से अधिक केस सामने आ चुके हैं। अब तक डेंगू से 14 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश में भी डेंगू कहर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यूपी 24 घंटे में डेंगू के कुल 165 नए संक्रमित सामने आए हैं। सबसे ज्यादा रामपुर में 28, मुजफ्फरनगर में 18 और मेरठ में 15 मरीजों की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही डेंगू के मरीजों की संख्या 5 हजार के पार पहुंच गई है। 

लखनऊ में रोजाना बड़ी संख्या में पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में रोजाना गंभीर हालत में मरीज भर्ती भी हो रहे हैं। यूपी के गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, कानपुर, मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ, आगरा समेत कई जिलों में डेंगू के मामले में वृद्धि हो रही है। ‌इन जिलों में सरकारी अस्पताल में बनाए गए डेंगू वार्ड फुल हो गए हैं। वहीं हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी में डेंगू से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। जिस पर लगाम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और निगम प्रशासन तमाम प्रयास करे रहे हैं, लेकिन हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं। नगर निगम की टीम लार्वा नष्ट करने के लिए लगातार निरीक्षण कर रही है। 

लगातार बढ़ रहे डेंगू के मामले को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने महानिदेशक स्वास्थ्य, निदेशक कुमाऊं मंडल, निदेशक गढ़वाल मंडल और निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को जिम्मेदारियां सौंपी है। आदेशानुसार, गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल में तेजी से फैल रहे डेंगू की रोकथाम के लिए जनता को जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों का जिलेवार समीक्षा कर शासन को रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

 देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका सिंह ने नगर निगम क्षेत्र के सार्वाधिक डेंगू प्राभावित 24 वार्डों में जिला स्तरीय अधिकारियों की तैनाती की है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश की धामी सरकार भी अलर्ट मोड पर आ चुकी है। बागेश्वर में तो डेंगू वार्ड फुल हो गया है। ऐसे में तीन मरीजों को ट्रामा सेंटर में बनाए रिजर्व डेंगू वार्ड में भर्ती किया गया है। बागेश्वर में 9 मरीजों का इलाज चल रहा है। रुद्रप्रयाग में अब तक 6 लोग डेंगू से पीड़ित हो चुके हैं।


उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक कर अधिकारियों को जारी किए निर्देश--


शुक्रवार को उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने डेंगू की रोकथाम को लेकर जिला प्रशासन व रेखीय विभागों के साथ समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अपने आवास पर वर्चुअल माध्मय से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों के साथ बैठक की।

 स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आगामी डेढ़ माह तक डेंगू के खतरे की संभावना है, जिसको देखते हुए अधिक संवेदनशील जनपदों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को रेखीय विभागों के साथ तालमेल कर जन जागरूकता अभियान जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही आम लोगों को भी डेंगू के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। डा. रावत ने कहा कि प्रदेश में अब तक 2049 मामले आए हैं। जिनमें से 1625 स्वस्थ हो चुके हैं जो कि कुछ डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या का करीब 80 प्रतिशत है। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश में डेंगू मरीजों के लिए प्लेटलेट्स की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। राज्य के ब्लड बैंकों में भी पर्याप्त मात्रा में ब्लड व प्लेटलेट्स उपलब्ध हैं। इन दिनों डेंगू से बहुत सावधान रहने की जरूरत है। इसके उपचार के दौरान सबसे अहम फ्लूइड मैनेजमेंट हैं। इसके अलावा खुद से इलाज करने से बचे। डेंगू पॉजिटिव होने पर एक्सपर्ट चिकित्सक से ही सलाह लें। और बुखार नियंत्रित रखने पर फोकस करें। खासतौर पर इस दौरान कोई भी पेन किलर बिना किसी डॉक्टर की सलाह के न लें। 

शरीर में डिहाइड्रेशन न होने दे। आमतौर पर डेंगू के बाद रिकवरी होने में ही कुछ समय लगता हैं। तीव्र संक्रमण के पूरी तरह रिकवर होने में 15 दिन तक का समय लग सकता हैं। पर इस दौरान एहतियात बरतना बेहद जरूरी हैं। इलाज से बेहतर ऑप्शन बचाव होता हैं। इसलिए बेहतर होगा कि बचाव पर फोकस करें। डेंगू से बचाव के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े और मच्छरदानी का प्रयोग सबसे बेहतरीन हैं। इसलिए इनका जरूर प्रयोग करें।

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