Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव zwar 2027 में होने हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अब से ही चुनावी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। हर कार्यक्रम में विकास, विरासत, सुशासन और घुसपैठियों को खदेड़ने जैसे मुद्दों को प्रमुखता देना उनके भाजपा को सत्ता में बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
मुख्य चुनावी रणनीति के बिंदु:
विकास और विरासत का एजेंडा:
धामी हर सार्वजनिक कार्यक्रम में विकास योजनाओं और प्रदेश की विरासत के संरक्षण पर जोर दे रहे हैं।
नैनीताल में उन्होंने तुष्टीकरण, डेमोग्राफिक बदलाव और अपात्र लाभार्थियों पर कार्रवाई जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
वोट बैंक मजबूत करना:
महिला स्वरोजगार योजना और कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी बड़े निर्णायक वोट बैंक के रूप में उभर रहे हैं।
बिहार चुनाव में इस तरह के लाभार्थी वोट बैंक को एनडीए की जीत का कारण माना गया।
धामी इस वोट बैंक को और मजबूत कर तीसरी बार सत्ता में वापसी के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं।
धार्मिक स्थलों का विकास:
चार धाम और अन्य मंदिरों में सुविधाओं में वृद्धि, नवनिर्माण और पुनर्निर्माण का काम।
नयना देवी, कैंची धाम, बैजनाथ, जागेश्वर, कोटगाड़ी, पूर्णागिरी और बाराही धाम देवीधूरा सहित धार्मिक स्थलों का विकास।
आम जनता में सकारात्मक संदेश, जिसे राजनीतिक रूप से भुनाने की योजना।
विधायकों की छवि पर निगरानी:
कुछ विधायकों की घटती लोकप्रियता और नकारात्मक छवि चिंता का कारण।
चुनाव में नए चेहरे और संभावित फेस-लिफ्टिंग पर विचार।
राजनीतिक समीकरण:
मुख्यमंत्री धामी हिन्दुत्व और विकास आधारित चुनावी एजेंडा पर जोर दे रहे हैं।
कांग्रेस में हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की नियुक्ति के बाद सक्रियता बढ़ी है, जिससे भाजपा के रणनीतिकार चौकन्ने हैं।
पार्टी संगठन के भीतर नेताओं की वापसी और विपक्षी गुटबाजी पर भी निगाह।
धामी की रणनीति साफ करती है कि विकास, धर्म और लाभार्थी वोट बैंक को मिलाकर भाजपा 2027 के विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ रहने की कोशिश करेगी।




