
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में "मतदाता धोखाधड़ी" के आरोपों के खिलाफ इंडिया ब्लॉक के नेताओं के संसद से चुनाव आयोग तक मार्च को दिल्ली पुलिस ने रोक दिया। इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पुलिस बैरिकेड लांघकर आगे बढ़ गए।
अखिलेश यादव ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना की
पुलिस ने विपक्षी सांसदों को रोक दिया है, जिसके बाद वे वहीं बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया और सांसद अखिलेश यादव भी बैरिकेड पार कर दूसरी तरफ प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें रोकने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने यह टिप्पणी उस समय की जब पुलिस विपक्षी सांसदों को चुनाव आयोग की ओर मार्च करने से रोक रही थी और वे विरोध करने के लिए धरने पर बैठे थे।
गौरतलब है कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के सत्यापन के लिए चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन चुनाव आयोग को आधार कार्ड और वोटर आईडी को वैध दस्तावेज़ बनाने पर विचार करने का सुझाव दिया है। इस मुद्दे पर सुनवाई 12 अगस्त को होगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को 8 अगस्त तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया है।
#WATCH | Delhi: Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav jumps over a police barricade as Delhi Police stops INDIA bloc leaders marching from the Parliament to the Election Commission of India to protest against the Special Intensive Revision (SIR) of electoral rolls in poll-bound… pic.twitter.com/X8YV4mQ28P
— ANI (@ANI) August 11, 2025
चुनाव आयोग की कार्रवाई
चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को एसआईआर के पहले चरण के आंकड़े जारी करते हुए बताया था कि बिहार में 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इनमें से 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है और 36 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि बिना सुनवाई के किसी भी मतदाता का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।
आवेदकों के तर्क
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण नियमों का उल्लंघन करके किया जा रहा है। उनका कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया से लाखों लोगों, खासकर महिलाओं, गरीबों और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम मतदाता सूची से हटने का खतरा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायण ने दलीलें पेश कीं।