
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हरियाणा सरकार ने जन शिकायतों के समाधान और शासन में पारदर्शिता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब राज्य के सभी जिलों में 'जिला लोक संपर्क एवं कष्ट निवारण समिति' की मासिक बैठकें आयोजित करना अनिवार्य कर दिया गया है। मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, मंडल आयुक्तों और उपायुक्तों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश राज्य में लोगों की समस्याओं को प्रभावी ढंग से और समय पर निपटाने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
क्या है नया आदेश और क्यों है ये जरूरी?
दरअसल, बीते कुछ समय से यह देखा जा रहा था कि कुछ जिलों में इन महत्वपूर्ण बैठकों का नियमित रूप से आयोजन नहीं हो रहा था। कई बार प्रशासनिक व्यस्तताओं के कारण बैठकों को स्थगित कर दिया जाता था, जिससे जनशिकायतों का अंबार लग रहा था और जनता को न्याय के लिए इंतजार करना पड़ रहा था। इसी को देखते हुए मुख्य सचिव ने सख्त निर्देश दिए हैं कि भविष्य में बैठकों को टालने की 'गैर-ज़रूरी हीला-हवाली' बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं होगी। अब हर माह निर्धारित समय पर इन बैठकों का आयोजन सुनिश्चित करना होगा।
मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने अधिकारियों से कहा है कि उन्हें 'नो रिग्रेट एटीट्यूड' (बिना किसी पश्चाताप के रवैये) के साथ इन शिकायतों को दूर करने का काम करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि किसी भी हाल में इन बैठकों को न टाला जाए और प्राथमिकता के आधार पर लंबित शिकायतों का समाधान किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई सदस्य बैठक के दौरान किसी शिकायत को आगे बढ़ाना चाहता है तो उसे रोका नहीं जाएगा।
इस पहल से हरियाणा में प्रशासनिक पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही और बढ़ेगी। इन बैठकों के माध्यम से नागरिकों की समस्याएं सीधे संबंधित अधिकारियों और मंत्रियों तक पहुंच सकेंगी, जिससे समाधान की प्रक्रिया तेज होगी। यह मुख्यमंत्री की 'पारदर्शी शासन और जनसुनवाई' की प्रतिबद्धता के अनुरूप एक महत्वपूर्ण निर्णय है।