
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड में आगामी चुनाव से पहले एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि "चुनाव चिन्ह के आवंटन से पहले बैलेट पेपर कैसे छाप दिए गए?" यह सवाल चुनाव प्रक्रिया में हुई एक बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है।
यह मामला तब सामने आया जब चुनाव लड़ने वाले कुछ उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने नियमों का उल्लंघन करते हुए चुनाव चिन्ह आवंटित होने से पहले ही बैलेट पेपर छाप दिए थे। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन है, क्योंकि इससे चुनाव की पवित्रता पर संदेह पैदा होता है।
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाते हुए इस पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि आखिर किन परिस्थितियों में और किस आधार पर यह कार्रवाई की गई, जबकि नियमों के अनुसार, चुनाव चिन्ह का आवंटन होने के बाद ही बैलेट पेपर छपने चाहिए।
यह विवाद ऐसे समय में आया है जब पूरे देश में चुनाव सुधार और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को लेकर बहस चल रही है। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करेगा और भविष्य में चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है।
सभी की निगाहें अब चुनाव आयोग के जवाब पर टिकी हैं और यह देखना होगा कि इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई होती है। यह मामला आगामी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है और राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा होने की उम्मीद है।