
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड का गौरव और एशिया का प्रमुख बाघ संरक्षित क्षेत्र, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर), एक बार फिर अपनी बेजोड़ ख्याति को दर्शाता है। आने वाले 29 जुलाई 2025 को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर, कॉर्बेट एक बार फिर देश में सर्वाधिक बाघों की आबादी वाले अभयारण्य के रूप में अपनी धाक जमाएगा। यह न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षणवादियों के लिए एक बड़ा संदेश है कि सीटीआर बाघों के संरक्षण में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व हमेशा से बाघों के पसंदीदा निवास स्थान रहा है। उत्तराखंड वन विभाग के प्रयासों और कठोर निगरानी का ही नतीजा है कि 2022 की गणना के अनुसार, सीटीआर में 260 से अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं, जो देश के किसी भी अन्य टाइगर रिजर्व की तुलना में सर्वाधिक है। अगर सीटीआर से सटे रामनगर वन प्रभाग के रामनगर फॉरेस्ट डिविजन (आरएफडी) को भी मिला लिया जाए, तो यह संख्या और भी बढ़ जाती है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की नवीनतम रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी, जिसने उत्तराखंड को देश का दूसरा सर्वाधिक बाघ आबादी वाला राज्य बनाया है।
आज भी पूरी दुनिया में कॉर्बेट अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यहां आने वाले पर्यटक जंगल के रोमांच का अनुभव करते हुए बाघों को खुले वातावरण में देखना चाहते हैं, जो कॉर्बेट के पारिस्थितिकी तंत्र की स्वस्थता का प्रमाण है। यह केवल संख्या की बात नहीं, बल्कि उनके प्राकृतिक व्यवहार और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को भी दर्शाता है। बाघों के अलावा, यह रिजर्व कई अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों और विविध वन्यजीवन का घर है।
उत्तराखंड के लिए कॉर्बेट सिर्फ एक राष्ट्रीय उद्यान नहीं, बल्कि पर्यटन और संरक्षण का एक अहम केंद्र है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर, हम एक बार फिर इन राजसी प्राणियों के संरक्षण के महत्व को समझेंगे और उन अथक प्रयासों को सराहेंगे जिन्होंने कॉर्बेट को बाघ संरक्षण का एक सफल मॉडल बनाया है। यह हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है कि हमारा देश और विशेषकर कॉर्बेट, विश्व में बाघों के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।