Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड के ऊँचे हिमालयी क्षेत्रों से ऐसे आश्चर्यजनक प्रमाण मिले हैं, जिन्होंने अब तक मानव सभ्यता की मौजूदगी को लेकर बनी धारणाओं को पूरी तरह बदल दिया है।
आईआईटी रुड़की और आईआईएसईआर मोहाली के विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड हिमालय में मानव सभ्यता की शुरुआत करीब 8100 वर्ष पहले हुई थी। इससे पहले नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के शोध में यह समयसीमा 4600 वर्ष पुरानी बताई गई थी।
यह शोध चमोली जिले के गोपेश्वर क्षेत्र में स्थित टोली झील के किनारे जमा 178 मीटर गहरी तलछट का अध्ययन करके किया गया। वैज्ञानिकों ने तलछट को पाँच अलग-अलग स्तरों में विभाजित कर उसका विस्तृत विश्लेषण किया।
अध्ययन के अनुसार, 18,100 से 13,600 वर्ष पूर्व यह इलाका बेहद शुष्क था। यह समय ‘लास्ट ग्लेशियल मैक्सिमम’ का आखिरी चरण माना जाता है। इसी दौरान ग्लेशियर पीछे हटने लगे और वातावरण में गर्माहट व नमी बढ़ने लगी, जिससे यहां वनस्पतियों और जीवों का विस्तार हुआ।
सेडा डीएनए तकनीक से किए गए अध्ययन में शुरुआती पौधों व जीवों के साथ-साथ 8100 वर्ष पुराने मानव डीएनए संकेत भी मिले। यही नहीं, करीब 3300 वर्ष पहले मिट्टी के बर्तनों के प्रमाण मिले, जो यहां मानव गतिविधि के बढ़ने का संकेत देते हैं।
जब वैज्ञानिकों ने तलछट में पॉलिसिलिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन की मात्रा मापी, तो पता चला कि लगभग 2400 वर्ष पहले मानव द्वारा उपयोग की गई आग के भी स्पष्ट निशान मौजूद हैं।
मानव उपस्थिति का पता कैसे चला?
तलछट में अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर ऐसे डीएनए अंश मिले जो केवल मनुष्यों या मानव-संबंधित जीवों में पाए जाते हैं। इनमें त्वचा की कोशिकाओं, मल के अंश या जैविक अवशेषों से जुड़े माइक्रोबियल डीएनए शामिल होते हैं। आधुनिक सेडा डीएनए तकनीक से इन बेहद सूक्ष्म संकेतों की पहचान संभव हो सकी।
हिमालय में मानव उपस्थिति के पूर्व प्रमाण
कुछ अध्ययनों के अनुसार हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों में मानव गतिविधि 5,000 वर्ष पुरानी बताई गई है।
एक जीनोमिक अध्ययन इसे 8,000–8,400 वर्ष पुराना मानता है।
लाहौल–स्पीति जैसे क्षेत्रों में मानव उपस्थिति 25,000 से 15,000 वर्ष पहले तक सम्भावित बताई गई है।
भारत में आधुनिक मानव की उपस्थिति आनुवंशिक अध्ययनों के अनुसार 65,000 वर्ष पुरानी मानी जाती है।
विश्व स्तर पर मानव उपस्थिति के सबसे पुराने प्रमाण मोरक्को में मिले हैं, जो लगभग 3 लाख वर्ष पुराने बताए जाते हैं।




