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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर ग़ालिबाफ़ ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर इज़राइल द्वारा हाल ही में किए गए हमलों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इन हमलों को न केवल सीरिया पर हमला, बल्कि पूरे इस्लामी जगत के लिए एक गंभीर चेतावनी बताया है। ग़ालिबाफ़ ने दावा किया है कि ये हमले "वैश्विक आधिपत्य व्यवस्था के एजेंटों और प्रतिनिधियों" द्वारा रची गई एक गहरी साज़िश का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य इस्लामी राष्ट्रों को अस्थिर, निरस्त्र और विभाजित करना है।

सीरिया की एकता का समर्थन और क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव

ग़ालिबाफ़ ने स्पष्ट किया कि ईरान हमेशा सीरियाई लोगों और उनकी क्षेत्रीय अखंडता व एकता का समर्थन करता है। उन्होंने दमिश्क पर हमले को सिर्फ़ एक अलग घटना नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा बताया।

दमिश्क आखिरी नहीं होगा: ग़ालिबफ़ की कड़ी चेतावनी

ईरानी वक्ता ने चेतावनी दी कि इस्लामी उम्माह (समाज) अब समझ गया है कि दमिश्क ज़ायोनी शासन द्वारा निशाना बनाई जाने वाली आखिरी राजधानी नहीं है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "अगर इस आग को अभी नहीं रोका गया, तो यह पूरे क्षेत्र में फैल जाएगी। इस्लामी सरकारों और राष्ट्रों को एकजुट होकर अमेरिका के पालतू कुत्ते (इज़राइल) को रोकना होगा, इससे पहले कि यह आग उन तक भी फैल जाए।" उन्होंने आगे कहा कि शासन का मुख्य उद्देश्य इस्लामी देशों को अस्थिर, निरस्त्र और विभाजित करना है ताकि अपने क्षेत्रीय नियंत्रण का विस्तार किया जा सके।

मुस्लिम देशों से एकता की अपील

ईरानी राष्ट्रपति ने अमेरिका और इज़राइल के बीच गठबंधन को मुस्लिम देशों के लिए बेहद घातक बताया। उन्होंने अपील की कि इज़राइली शासन का उद्देश्य मुस्लिम देशों को कमज़ोर करना और उनमें फूट डालना है, इसलिए सभी इस्लामी देशों को इन सभी हमलों के ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए।

ग़ालिबाफ़ ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि जो सरकारें इज़राइल में अपनी सुरक्षा देखती हैं, वे भ्रम में जी रही हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "यह ज़ायोनी शासन केवल सत्ता की भाषा समझता है। यह शासन पूरे क्षेत्र में शांति, स्थिरता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सबसे बड़ा दुश्मन है।