
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम सबसे लंबे कार्यकाल वाले नेताओं में लिया जाता है। वे नौ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक अलग ही रिकॉर्ड बना चुके हैं। इस साल नवंबर तक, जीतनराम मांझी के 274 दिनों के कार्यकाल को छोड़ दें, तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर कुल 20 साल पूरे कर सकते हैं।
बिहार का राजनीतिक इतिहास मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल के लिहाज़ से बेहद दिलचस्प है। यहां किसी का कार्यकाल सिर्फ चार दिन का भी रहा है। पहले मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह को छोड़कर कांग्रेस के किसी भी मुख्यमंत्री ने एक ही कार्यकाल में पूरे पांच साल तक पद नहीं संभाला। सबसे कम कार्यकाल का रिकॉर्ड सतीश प्रसाद सिंह के नाम है, जो 28 जनवरी 1968 से 1 फरवरी 1968 तक (सिर्फ चार दिन) मुख्यमंत्री रहे।
इसके बाद शोषित दल के वीपी मंडल ने 50 दिनों तक पद संभाला। तीन बार मुख्यमंत्री बनने का मौका भोला पासवान शास्त्री को भी मिला। उनका पहला कार्यकाल 99 दिन, दूसरा सिर्फ 12 दिन और तीसरा 221 दिन का रहा।
डॉ. जगन्नाथ मिश्रा भी तीन बार मुख्यमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 2 साल 19 दिन, दूसरा 3 साल 67 दिन और तीसरा 94 दिन का रहा।
राबड़ी देवी और लालू प्रसाद का कार्यकाल
राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सात साल 190 दिन तक पद पर रहीं। दिलचस्प बात यह है कि उनका कार्यकाल लालू प्रसाद यादव से 60 दिन ज्यादा रहा। लालू यादव का पहला कार्यकाल पांच साल 18 दिन का था, जबकि राबड़ी देवी का दूसरा कार्यकाल चार साल 360 दिन का रहा।
एक साल से कम समय वाले मुख्यमंत्री
बिहार की राजनीति में कई मुख्यमंत्री ऐसे भी रहे जिन्हें एक साल से कम समय मिला। इनमें महामाया प्रसाद सिन्हा, दारोगा प्रसाद राय, रामसुंदर दास, जीतनराम मांझी, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, भोला पासवान शास्त्री और वीपी मंडल शामिल हैं।
श्रीकृष्ण सिंह का अब तक का रिकॉर्ड
लगातार लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड आज भी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के नाम है, जिन्होंने 14 साल से ज्यादा समय तक यह पद संभाला। कुल कार्यावधि के लिहाज से नीतीश कुमार इस रिकॉर्ड के करीब पहुंच चुके हैं, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। उस दौरान 20 मई 2014 से 22 फरवरी 2015 तक जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री रहे। इसी कारण नीतीश कुमार आज भी श्रीकृष्ण सिंह का यह रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाए हैं।