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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' नीति पर एक बार फिर ज़ोरदार कार्रवाई की है। परिवहन विभाग में तैनात 9 डेटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवाएँ तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। इन सभी पर रिश्वत मांगने और विभाग के काम में अनिमितताएं बरतने के आरोप थे, जिसकी कई शिकायतें सरकार तक पहुंची थीं। यह कठोर कदम दिखाता है कि मान सरकार अब भ्रष्टाचारियों को किसी भी कीमत पर बख्शने के मूड में नहीं है।

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर के पास ये शिकायतें आई थीं कि राज्य के अलग-अलग ज़िलों में डेटा एंट्री ऑपरेटर रिश्वतखोरी में लिप्त हैं। वे आरटीए (क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण) दफ्तरों में ड्राइवर लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), और परमिट जैसे आवश्यक सरकारी काम करवाने के लिए आम जनता से अवैध रूप से पैसे की मांग कर रहे थे। कुछ मामलों में तो उनके ऊपर यह भी आरोप था कि वे कामों में अनावश्यक देरी कर रहे थे ताकि आवेदक घूस देने को मजबूर हों।

शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए, परिवहन मंत्री ने तत्काल प्रभाव से विभाग के प्रिंसिपल सचिव को मामले की जांच करने के निर्देश दिए। जांच के बाद, इन शिकायतों को सही पाया गया, जिसके बाद पंजाब आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत इन 9 डेटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवाएँ खत्म कर दी गईं।

यह कार्रवाई मुख्यमंत्री भगवंत मान की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी किसी काम के लिए पैसे मांगे तो आम जनता को सीधे उनके कार्यालय या मुख्यमंत्री विजिलेंस हेल्प लाइन पर शिकायत करनी चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ यह सख्त संदेश उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए है जो सरकारी दफ्तरों में आम लोगों को परेशान कर रिश्वतखोरी को बढ़ावा देते हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें कोई समझौता नहीं होगा।