
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : हिमाचल प्रदेश इस समय भयंकर आपदा से जूझ रहा है। 20 जून से हो रही भारी बारिश ने राज्य में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रभावित लोगों का मुआयना किया। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 8 जुलाई तक राज्य में मौसम खराब रहेगा। 3 जुलाई को कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सिरमौर में भारी बारिश और आंधी का येलो अलर्ट जारी किया गया है।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, 20 जून से अब तक 62 लोगों की जान जा चुकी है और 56 लापता हैं। 103 लोग घायल हुए हैं, 84 पशुधन मारे गए हैं और 223 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।

अकेले मंडी में 168 घर ढह गए हैं। इस आपदा से राज्य को अब तक 283 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, जिसमें से 163 करोड़ रुपये जल शक्ति विभाग और 117 करोड़ रुपये लोक निर्माण विभाग को नुकसान हुआ है।

बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेश भर में 245 सड़कें बंद हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 151 सड़कें मंडी जिले में बंद हैं। कुल्लू में 37 और शिमला में 27 सड़कों पर यातायात ठप है।

प्रदेश में 918 ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं। यहां भी मंडी जिले में सबसे ज्यादा 489 ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं, जबकि हमीरपुर में 333 और कुल्लू में 65 ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं।

सोमवार रात थुनाग, गोहर, करसोग, धार जारोल और पांडव शिमला इलाकों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं। मंडी के डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन के मुताबिक, इन हादसों में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 34 लापता हैं।

जिले में 148 घर नष्ट हो गए हैं, 31 वाहन क्षतिग्रस्त हो गए हैं, दो दुकानें ढह गई हैं और 14 पुल बह गए हैं। करीब 162 जानवर भी मारे गए हैं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है और अब तक 370 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

पांच जुलाई से प्रदेश के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। इस दिन ऊना, कांगड़ा और मंडी में ऑरेंज अलर्ट, जबकि बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कुल्लू, शिमला, सोलन और सिरमौर में येलो अलर्ट लागू रहेगा।

ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, सिरमौर, शिमला और मंडी जिलों में छह जुलाई को फिर से ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, सात जुलाई को ऑरेंज और आठ जुलाई को येलो अलर्ट जारी किया गया है।

मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने आज मंडी का दौरा किया। मंडी के थुनाग उपमंडल में सड़कों की दयनीय स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने राहत सामग्री पहुंचाने के लिए रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायुसेना से हवाई सहायता मांगी थी।