
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अखंड ज्योत नवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार जलने वाली यह पवित्र ज्योति देवी दुर्गा की असीम कृपा प्रदान करती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि आज, 22 सितंबर से शुरू हो गई है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि में देवी दुर्गा के समक्ष अखंड ज्योत क्यों जलाई जाती है और इसके क्या लाभ हैं।
अखंड ज्योत का अर्थ: अखंड का अर्थ है अटूट और ज्योत का अर्थ है प्रकाश। अखंड ज्योत एक ज्योति है जो नवरात्रि के दौरान निरंतर जलती रहती है। यह ज्योति देवी दुर्गा की शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है। इसलिए, नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत जलाना बहुत शुभ माना जाता है।
देवी दुर्गा का आशीर्वाद
नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाने से देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में नौ दिनों तक यह पवित्र ज्योति प्रज्वलित रहती है, उस पर देवी दुर्गा की विशेष कृपा होती है। यह ज्योति न केवल संकटों से रक्षा करती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
नकारात्मक ऊर्जा का विनाश
ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाने से घर के वातावरण से नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर होती हैं। अखंड ज्योति को पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। यह ज्योति निरंतर जलती रहने से आसपास के वातावरण को शुद्ध करती है।
आपको खुशी, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामनाएं।
नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यह अखंड ज्योति परिवार के सदस्यों के लिए समृद्धि और उन्नति लाती है।
पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
अखंड ज्योति जलाने से न केवल पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं, बल्कि पुण्य की प्राप्ति भी होती है। ऐसा माना जाता है कि अखंड ज्योति पुण्य का मार्ग प्रशस्त करती है।
अखंड ज्योति का ध्यान रखें।
नवरात्रि के नौ दिनों तक अखंड ज्योत निरंतर जलती रहनी चाहिए। यह केवल एक दीपक नहीं है, बल्कि देवी दुर्गा की आराधना और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसकी देखभाल पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
ज्योति को निरंतर जलाए रखने के लिए समय-समय पर घी या तेल डालते रहना चाहिए। कभी-कभी हवा, अनजाने में हुई गलती या अन्य कारणों से दीपक बुझ भी सकता है। अगर ऐसा हो जाए, तो चिंता करने की कोई बात नहीं है। ऐसी स्थिति में देवी दुर्गा से क्षमा याचना करके दीपक पुनः जला देना चाहिए।