
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार के चकाई और जमुई जिले के लिए खुशखबरी है। पांच दशकों से अधर में लटकी बरनार जलाशय योजना आखिरकार हकीकत बनने जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वर्चुअल माध्यम से इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का शिलान्यास किया। इस कदम से इलाके के लोगों में नई उम्मीद जगी है।
करीब 2579 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह जलाशय सिर्फ खेतों तक पानी पहुंचाने का काम नहीं करेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यटन के क्षेत्र में भी नई ऊर्जा भरेगा।
बिहार सरकार के मंत्री और चकाई विधायक सुमित कुमार सिंह ने कहा, “यह मेरे दादा श्रीकृष्ण सिंह का सपना था, जो आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोग से साकार होने जा रहा है।”
बरनार जलाशय राज्य का पहला कंक्रीट डैम होगा, जिसकी ऊंचाई 74 मीटर और लंबाई 285 मीटर तय की गई है। पूरी परियोजना के पूरा होने पर करीब 22 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। पाइपलाइन सिस्टम के माध्यम से पानी सीधे खेतों तक पहुंचेगा। मंत्री ने बताया कि यह परियोजना कृषि क्रांति, हरित विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
अधूरे सपनों से हकीकत तक का लंबा सफर
बरनार जलाशय योजना की शुरुआत 1976 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और स्थानीय नेता श्रीकृष्ण सिंह ने की थी। इसके बाद कई नेताओं जैसे चंद्रशेखर सिंह, डीपी यादव और दीपनारायण सिंह ने इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किया, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह योजना दशकों तक रुकी रही।
योजना की शुरुआती लागत मात्र 8 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 2579.37 करोड़ रुपये हो गई है। पूरी होने पर यह परियोजना 22 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित करेगी और 22 लाख क्विंटल अतिरिक्त उत्पादन का अनुमान है।
साथ ही, डैम से 10 मेगावाट बिजली उत्पादन और आसपास के गांवों में पेयजल आपूर्ति की सुविधा भी मिलेगी। पर्यटन के क्षेत्र में भी यह योजना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
नीतीश कुमार की पहल से मिली नई रफ्तार
लंबे समय तक फाइलों में दबी इस परियोजना को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल ने नया जीवन दिया। उनकी सक्रियता से इसे कैबिनेट की मंजूरी मिली और निर्माण कार्य नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया।
इस डैम को 43 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। स्थानीय लोग मानते हैं कि डैम बनने के बाद सोनों, झाझा, खैरा और गिद्धौर की तस्वीर बदल जाएगी और जमुई जिला राज्य के विकास मानचित्र पर नई पहचान बनाएगा।