
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारत और नेपाल के बीच की सीमा पर एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। 'नो मैंस लैंड' नाम की वह जगह, जिसे दोनों देशों के बीच खाली छोड़ना होता है ताकि कोई भी देश दूसरे की ज़मीन पर कब्ज़ा न कर सके और सुरक्षा बनाए रखी जा सके, उस पर लोग बेखौफ होकर अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं। यह स्थिति खासकर उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले से सटी सीमा पर गंभीर हो चुकी है।
लोग बेखौफ होकर यहाँ मकान, जानवरों के बाड़े और यहाँ तक कि खेत बनाकर गेहूं और सरसों जैसी फसलें उगा रहे हैं। आलम यह है कि सीमा की मूल चौड़ाई अब कहीं-कहीं सिमटकर बहुत कम रह गई है। इस अवैध कब्जे से सीमा की चौड़ाई कम हो रही है, जिससे सुरक्षा बल, खासकर सशस्त्र सीमा बल (SSB) के जवानों को गश्त करने में भारी परेशानी हो रही है। उन्हें सीमा पर निगरानी रखने में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे देश की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं।
पहले सीमा पर पहचान के लिए सीमा स्तंभ (पिलर) बनाए गए थे, लेकिन दुर्भाग्य से कई जगहों पर इन्हें तोड़ दिया गया है या हटा दिया गया है, जिससे अवैध कब्जों को बढ़ावा मिला है। यह केवल जगह का मसला नहीं है, बल्कि सुरक्षा का भी गंभीर विषय है। खुली सीमा और इन अवैध कब्जों के कारण यहाँ से नशीले पदार्थों की तस्करी, वन्यजीवों की खरीद-फरोख्त और यहां तक कि मानव तस्करी जैसे अवैध धंधे आसानी से फल-फूल रहे हैं।
इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए, यह बेहद ज़रूरी है कि भारत और नेपाल मिलकर एक संयुक्त सर्वे करें। जो भी अवैध कब्जे हैं, उन्हें तुरंत हटाया जाए और 'नो मैंस लैंड' को उसकी असली स्थिति में वापस लाया जाए ताकि हमारी सीमाएं सुरक्षित रहें और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।