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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : एआई की मदद से तकनीक इतनी उन्नत हो गई है कि यह पहले ही अनुमान लगा सकती है कि भविष्य में किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने का कितना जोखिम है। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह सच है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एआई की मदद से अब हम ज़्यादा सटीक और तेज़ी से यह अनुमान लगा सकते हैं कि किसी को दिल का दौरा पड़ने का खतरा है या नहीं।

एआई का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि यह एक साथ ढेर सारा डेटा देख और उसका विश्लेषण कर सकता है। दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश गोयल कहते हैं कि एआई मरीज़ के मेडिकल इतिहास, परिवार में पहले हुई बीमारियों और ब्लड टेस्ट, ईसीजी व स्कैन जैसी जाँच रिपोर्टों से यह बता सकता है कि किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने की कितनी संभावना है। इस तकनीक की मदद से मरीज़ की जान को होने वाले ख़तरे के बारे में भी बताया जा सकता है।

एआई का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि यह एक साथ ढेर सारा डेटा देख और उसका विश्लेषण कर सकता है। दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश गोयल कहते हैं कि एआई मरीज़ के मेडिकल इतिहास, परिवार में पहले हुई बीमारियों और ब्लड टेस्ट, ईसीजी व स्कैन जैसी जाँच रिपोर्टों से यह बता सकता है कि किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने की कितनी संभावना है। इस तकनीक की मदद से मरीज़ की जान को होने वाले ख़तरे के बारे में भी बताया जा सकता है।

डॉ. गोयल के अनुसार, एआई की खासियत यह है कि यह इंसानों से ज़्यादा तेज़ और सटीक तरीके से काम करता है। जिन चीज़ों को समझने में एक अनुभवी डॉक्टर को समय लग सकता है, एआई उन्हें चंद सेकंड में बता देता है। यह तकनीक न सिर्फ़ मरीज़ की बीमारी का जल्द पता लगाती है, बल्कि डॉक्टरों को सही समय पर सही फ़ैसला लेने में भी मदद करती है। अब कई बड़े अस्पताल और चिकित्सा संस्थान एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि मरीज़ों को बेहतर इलाज मिल सके।

डॉ. गोयल के अनुसार, एआई की खासियत यह है कि यह इंसानों से ज़्यादा तेज़ और सटीक तरीके से काम करता है। जिन चीज़ों को समझने में एक अनुभवी डॉक्टर को समय लग सकता है, एआई उन्हें चंद सेकंड में बता देता है। यह तकनीक न सिर्फ़ मरीज़ की बीमारी का जल्द पता लगाती है, बल्कि डॉक्टरों को सही समय पर सही फ़ैसला लेने में भी मदद करती है। अब कई बड़े अस्पताल और चिकित्सा संस्थान एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि मरीज़ों को बेहतर इलाज मिल सके।

एआई का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बीमारी के लक्षणों का पहले ही पता लगा लेता है। इससे डॉक्टरों को पहले ही पता चल जाता है कि मरीज को किन खतरों का सामना करना पड़ सकता है। डॉ. गोयल कहते हैं,

एआई का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बीमारी के लक्षणों का पहले ही पता लगा लेता है। इससे डॉक्टरों को पहले ही पता चल जाता है कि मरीज को किन खतरों का सामना करना पड़ सकता है। डॉ. गोयल कहते हैं, “अगर हमें पहले से पता चल जाए कि किसी मरीज को हार्ट अटैक आने का खतरा है, तो हम उसका इलाज समय पर शुरू कर सकते हैं। इससे न सिर्फ़ मरीज़ की जान बचती है, बल्कि उसकी सेहत भी बेहतर होती है।”

उन्होंने कहा कि अगर एआई मरीज़ के डेटा को देखकर यह बताता है कि उसे अगले कुछ सालों में दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा है, तो डॉक्टर उस मरीज़ को दवाएँ, जीवनशैली में बदलाव या ज़रूरी इलाज शुरू करने की सलाह दे सकते हैं। इससे न सिर्फ़ मरीज़ को बीमारी से बचाया जा सकेगा, बल्कि उसके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि अगर एआई मरीज़ के डेटा को देखकर यह बताता है कि उसे अगले कुछ सालों में दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा है, तो डॉक्टर उस मरीज़ को दवाएँ, जीवनशैली में बदलाव या ज़रूरी इलाज शुरू करने की सलाह दे सकते हैं। इससे न सिर्फ़ मरीज़ को बीमारी से बचाया जा सकेगा, बल्कि उसके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में हृदय रोग से होने वाली मौतों को कम करने में एआई की बड़ी भूमिका होगी। आजकल, दुनिया भर में दिल का दौरा मौत का एक प्रमुख कारण है, लेकिन एआई की मदद से अगर हमें पहले से पता चल जाए कि जोखिम क्या है, तो इसे रोकना आसान हो जाएगा। यह तकनीक न केवल मरीजों के लिए फायदेमंद है, बल्कि डॉक्टरों और अस्पतालों के लिए भी गेम-चेंजर साबित हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में हृदय रोग से होने वाली मौतों को कम करने में एआई की बड़ी भूमिका होगी। आजकल, दुनिया भर में दिल का दौरा मौत का एक प्रमुख कारण है, लेकिन एआई की मदद से अगर हमें पहले से पता चल जाए कि जोखिम क्या है, तो इसे रोकना आसान हो जाएगा। यह तकनीक न केवल मरीजों के लिए फायदेमंद है, बल्कि डॉक्टरों और अस्पतालों के लिए भी गेम-चेंजर साबित हो रही है।

डॉ. गोयल कहते हैं कि एआई का इस्तेमाल अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन आने वाले समय में यह और ज़्यादा स्मार्ट और सटीक हो जाएगा। इसकी मदद से न सिर्फ़ हार्ट अटैक, बल्कि कई दूसरी गंभीर बीमारियों का भी पहले ही पता लगाया जा सकेगा।

डॉ. गोयल कहते हैं कि एआई का इस्तेमाल अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन आने वाले समय में यह और ज़्यादा स्मार्ट और सटीक हो जाएगा। इसकी मदद से न सिर्फ़ हार्ट अटैक, बल्कि कई दूसरी गंभीर बीमारियों का भी पहले ही पता लगाया जा सकेगा।