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Prabhat Vaibhav, Digital Desk: भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा था। इसकी नकल करते हुए पाकिस्तान ने भी बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजा, लेकिन वहां उसे बेइज्जती झेलनी पड़ी। अमेरिका के वरिष्ठ कांग्रेसी ब्रैड शेरमैन ने साफ तौर पर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और डॉ. शकील अफरीदी को रिहा करने की मांग की, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई।

भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा था। इसकी नकल करते हुए पाकिस्तान ने भी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजा, लेकिन वहां उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा।

गुरुवार (05 जून 2025) को वाशिंगटन डीसी में एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करते हुए वरिष्ठ अमेरिकी कांग्रेसी ब्रैड शेरमेन ने आतंकवाद और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा।

शेरमन की सख्त प्रस्तुति

कांग्रेसी शेरमन ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को स्पष्ट कर दिया कि आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए । उन्होंने 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या में जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका पर विशेष रूप से जोर दिया। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी उमर सईद शेख को पर्ल के अपहरण और हत्या की साजिश रचने का दोषी ठहराया गया था। शेरमन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "मैंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को आतंकवाद और विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद समूह से लड़ने के महत्व पर जोर दिया, जिसने 2002 में मेरे निर्वाचन क्षेत्र के निवासी डेनियल पर्ल की हत्या कर दी थी। पर्ल का परिवार अभी भी मेरे जिले में रहता है और पाकिस्तान को इस घृणित समूह को खत्म करने और क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।"

डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई की मांग

शेरमैन ने डॉ. शकील अफरीदी की तत्काल रिहाई की भी मांग की। डॉ. अफरीदी एक पाकिस्तानी डॉक्टर हैं, जिन्हें ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में सीआईए की मदद करने के लिए जेल भेजा गया था। मई 2011 में एबटाबाद में बिन लादेन के परिसर पर अमेरिकी छापे से पहले अफरीदी ने अपने परिवार से डीएनए नमूने एकत्र करने के लिए एक गुप्त पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम चलाने में मदद की थी। उन्हें 2012 में 33 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। शेरमैन ने अफरीदी की रिहाई को 9/11 के पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

अल्पसंख्यक अधिकारों पर चिंताएं

आतंकवाद के अलावा, शेरमन ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में ईसाइयों, हिंदुओं और अहमदिया मुसलमानों को हिंसा, उत्पीड़न, भेदभाव या असमान न्याय के डर के बिना अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। शेरमन ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि, "पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है," और अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चल रही अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को भी उजागर किया।