
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड में मानसून का मिजाज इन दिनों कुछ रूठा हुआ सा है। राज्य के प्रमुख हिस्सों, खासकर कुमाऊं मंडल में बारिश की कमी ने चिंता बढ़ा दी है। एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के बावजूद नैनीताल समेत ऊधमसिंह नगर, चंपावत और देहरादून जैसे जिलों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है, जिससे सूखे जैसी स्थिति बन रही है।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में अब तक औसत से लगभग 16 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। इस आंकड़े से साफ पता चलता है कि राज्य में मानसून की गतिविधियाँ कमजोर पड़ गई हैं। जुलाई के इस महीने में जिस झमाझम बारिश की उम्मीद की जाती है, वह अभी तक देखने को नहीं मिली है। बादल तो आ रहे हैं, लेकिन भारी वर्षा नहीं हो रही, बल्कि छिटपुट और हल्की बूंदाबांदी ही देखने को मिल रही है।
कम बारिश का सीधा असर तापमान पर भी पड़ा है। बारिश न होने के कारण दिन में उमस और गर्मी बरकरार है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडे ने बताया कि यह पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों पर ज़्यादा असरदार साबित नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से व्यापक और तेज़ बारिश नहीं हो पा रही है।
हालांकि, मौसम विज्ञान केंद्र ने अगले दो महीनों के लिए सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान लगाया है, लेकिन यह अखिल भारतीय स्तर पर है। उत्तराखंड के लिए फिलहाल स्थिति ऐसी है कि रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश ही संभावित है। मानसून की यह बेरुखी न केवल पर्यटन और कृषि पर असर डाल रही है, बल्कि भविष्य में जल संकट की आशंका भी बढ़ा रही है। फिलहाल, उत्तराखंड को झमाझम बारिश का इंतजार है ताकि सूखे जैसी स्थिति से निपटा जा सके।