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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बदरीनाथ धाम में कड़ाके की ठंड अपने चरम पर है, और इसका असर प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट बदरीनाथ महायोजना पर साफ दिखने लगा है। तापमान लगातार माइनस 10 डिग्री तक पहुंच रहा है, जिससे तालाबों का पानी भी जमने लगा है। इसी कारण 100 से अधिक मजदूर धाम छोड़कर वापस लौट गए हैं, हालांकि अब भी करीब 400 मजदूर और कर्मचारी ठंड का सामना करते हुए निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं।

यात्रा काल के दौरान नर पर्वत क्षेत्र में साकेत तिराहे से काली कमली तक जिन जगहों पर दिक्कतें आई थीं, उन कार्यों को अब तेज गति से पूरा किया जा रहा है। इस समय महायोजना के तहत रीवर फ्रंट वर्क और ईवी ट्रैक निर्माण पर काम जारी है। सबसे ज्यादा चुनौती सीमेंट वर्क के सही तरह सेट होने की आ रही है, क्योंकि अत्यधिक ठंड में सीमेंट जमने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

लोनिवि पीआईयू ने पिछले साल की तरह इस बार भी जनवरी तक निर्माण जारी रखने की योजना तैयार की है। मजदूरों और कर्मचारियों के लिए पर्याप्त राशन और रहने की व्यवस्था धाम में कर दी गई है, ताकि वे मौसम अनुकूल रहने तक कार्य कर सकें। हालांकि दो साल पहले की तरह इस बार भी भारी बर्फबारी होने पर काम रोकना पड़ सकता है।

धाम में सुरक्षा कड़ी, ITBP की तैनाती

महायोजना के चलते बदरीनाथ थाना भी फिलहाल धाम में ही सक्रिय है, जबकि सामान्यतः कपाट बंद होने के बाद इसे हनुमान चट्टी शिफ्ट कर दिया जाता था। धाम में बाहरी लोगों की गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। मंदिर परिसर की सुरक्षा ITBP के जवानों के हाथों में है, जबकि मंदिर समिति के सुरक्षा कर्मी भी ड्यूटी में तैनात हैं।

PMO स्तर पर रूका रीवर फ्रंट का काम, विशेषज्ञ टीम कर रही समीक्षा

तप्तकुंड और नारदकुंड की तलहटी, जो बदरीनाथ मंदिर के ठीक नीचे हैं, इनके पास अलकनंदा के किनारे बनने वाले रीवर फ्रंट कार्य को फिलहाल रोक दिया गया है। इन प्राकृतिक गर्म जलस्रोतों से छेड़छाड़ और मंदिर की नींव पर संभावित खतरे को देखते हुए 100 मीटर क्षेत्र में निर्माण रोक लगाया गया था।
अब इस पूरे मामले पर PMO स्तर की विशेषज्ञ टीम पुनर्विचार कर रही है। उम्मीद है कि इन कार्यों को अब अगले साल ही अंतिम मंजूरी के बाद दोबारा शुरू किया जा सकेगा।

अधिकारियों का बयान

लोनिवि पीआईयू के अधिशासी अभियंता योगेश मनराल के अनुसार—
“रीवर फ्रंट, ईवी ट्रैक और भवनों के अवशेष कार्य तेजी से चल रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद निर्माण को लेकर उत्साह बना हुआ है। बर्फबारी के बाद ही काम को रोकने पर फैसला लिया जाएगा।”