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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : फिल्म देखते या खेल का आनंद लेते हुए पॉपकॉर्न लगभग हर किसी का पसंदीदा स्नैक होता है। आमतौर पर इसे हेल्दी माना जाता है क्योंकि इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माइक्रोवेव पॉपकॉर्न आपके फेफड़ों के लिए खतरनाक हो सकता है? जवाब है, जी हाँ। अमेरिका में एक व्यक्ति को यह आदत इतनी भारी पड़ी कि वह गंभीर रूप से बीमार हो गया और बाद में अदालत ने उस पर 7.2 मिलियन डॉलर (करीब 51 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।

क्या माजरा था?

2012 में, अमेरिका के कोलोराडो निवासी वेन वॉटसन नाम के एक व्यक्ति ने दावा किया कि वह "पॉपकॉर्न लंग" नामक एक गंभीर बीमारी से पीड़ित है। वॉटसन लगभग 10 साल तक रोज़ाना दो पैकेट माइक्रोवेव पॉपकॉर्न खाता था। खास बात यह थी कि पॉपकॉर्न खाने से पहले वह पैकेट खोलकर उसकी गर्म भाप सूंघता था।

जाँच में पाया गया कि वाष्प में डायएसिटाइल नामक एक रसायन था, जिसे कृत्रिम मक्खन के स्वाद में मिलाया गया था। यह रसायन खाने के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन साँस लेने पर यह फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुँचाता है। अदालत ने माना कि यही वॉटसन की बीमारी का कारण था और उसे मुआवज़ा देने का आदेश दिया।

पॉपकॉर्न लंग क्या है?

पॉपकॉर्न लंग (ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटेरांस) एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों में मौजूद छोटी वायुकोशिकाएँ संकरी और दागदार हो जाती हैं। इससे मरीज़ को लगातार खांसी, साँस लेने में तकलीफ़ और घरघराहट की समस्या होती है। यह बीमारी उलटने लायक नहीं है, यानी इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। गंभीर मामलों में, मरीज़ को ऑक्सीजन थेरेपी या फेफड़े के प्रत्यारोपण की ज़रूरत पड़ सकती है।

यह खुलासा कैसे किया गया?

यह मामला पहली बार 2000 के दशक की शुरुआत में तब सामने आया जब अमेरिका में माइक्रोवेव पॉपकॉर्न बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों को अचानक फेफड़ों की गंभीर समस्या होने लगी। जाँच में पता चला कि इसका कारण डायएसिटाइल वाष्प था। इसके बाद, अमेरिका की प्रमुख कंपनियों ने 2007 से अपने पॉपकॉर्न उत्पादों से इस रसायन को हटाना शुरू कर दिया।

अब यह कितना खतरनाक है?

आजकल ज़्यादातर कंपनियाँ डायएसिटाइल का इस्तेमाल नहीं करतीं, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना ज़रूरी है। अगर आप माइक्रोवेव पॉपकॉर्न खा रहे हैं, तो पैकेट खोलते ही निकलने वाली भाप को सीधे अंदर न लें। सबसे पहले, पैकेट को कुछ सेकंड के लिए खुला रखें ताकि भाप निकल जाए।

अन्य स्थानों पर भी खतरा

यह रसायन न केवल पॉपकॉर्न में, बल्कि ई-सिगरेट (वेप्स) और कुछ खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में भी पाया गया है। अगर आप ऐसी जगह काम करते हैं जहाँ इन फ्लेवरिंग रसायनों का इस्तेमाल होता है, तो यह ज़रूरी है कि आपका नियोक्ता OSHA और NIOSH जैसी एजेंसियों के सुरक्षा नियमों का पालन करे। इसमें नियमित वेंटिलेशन और वायु गुणवत्ता जाँच शामिल है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर आपको लगातार खांसी या साँस लेने में तकलीफ हो रही है, तो तुरंत जाँच करवाएँ। पॉपकॉर्न लंग को रोका जा सकता है, लेकिन एक बार हो जाने पर, इसे पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल होता है। इसलिए, चाहे पॉपकॉर्न हो या वेपिंग, वाष्प और धुएँ को सीधे अंदर लेना हमेशा खतरनाक हो सकता है।