
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : भारतीय सेना ने एक बार फिर अपने अदम्य साहस और अद्वितीय संगठन क्षमता का परिचय देते हुए पर्वतारोहण के क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। देश की शान बन चुके हमारे 22 सैनिकों ने दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट को एकसाथ फतह कर विश्व कीर्तिमान बना डाला है।
यह पहला अवसर है जब इतने सैनिकों का कोई दल एक साथ एवरेस्ट की 8848.86 मीटर ऊँची चोटी तक सफलतापूर्वक पहुँचा हो। इससे पहले ऐसा विश्व रिकॉर्ड किसी देश की फौज नहीं बना पाई थी। इस गौरवशाली पल का हिस्सा बने नायब सूबेदार इंदर सिंह अधिकारी, जो तीसरी बार एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाले भारतीय सैनिक बन गए हैं। इससे पहले वे 2012 और 2016 में भी तिरंगा शिखर पर फहरा चुके हैं।
भारतीय सेना ने इस उपलब्धि को आधिकारिक मान्यता दिलाने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में साक्ष्यों के साथ दावा प्रस्तुत किया है। इससे पहले वर्ष 2001 में सेना के केवल छह जवानों ने एवरेस्ट की चोटी छूने की उपलब्धि हासिल की थी।
इस बार यह ऐतिहासिक उपलब्धि ‘इंडियन आर्मी सिल्वर जुबली एवरेस्ट एक्सपिडिशन-2025’ के तहत हासिल की गई। इस अभियान को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 10 अप्रैल को दिल्ली से रवाना किया था। 32 सदस्यीय दल ने नेपाल के काठमांडू होते हुए बेस कैंप तक का सफर तय किया।
22 मई को 8500 मीटर की ऊँचाई पर पहुँचने के बाद बर्फीले तूफान की वजह से दल को वापस लौटना पड़ा। लेकिन 25 मई को दोबारा चढ़ाई शुरू की गई और 27 मई की सुबह लगभग 4 बजे भारत के 22 जांबाजों ने एकसाथ चोटी पर तिरंगा लहराकर विश्व को चौंका दिया।
नायब सूबेदार इंदर सिंह अधिकारी की बात करें तो उनका पर्वतारोहण का सफर बेहद प्रेरणादायक है। वे 2007 में सेना में शामिल हुए थे और हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल, सोनामार्ग में प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए बेस्ट स्टूडेंट भी रहे। उन्होंने माउंट शिवलिंग, त्रिशुल, कामेट, मकालू, राजरंभा, माउंट भनोटी और मुकुट जैसे अनेक दुर्गम पर्वतों को फतह किया है। उन्हें उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया है।
उनकी पत्नी वीरशिवा अधिकारी रानीखेत के एक स्कूल की प्रधानाचार्या हैं। परिवार, रेजीमेंट और देश – सभी को उन पर गर्व है।