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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब के सियासी गलियारों में सनसनी का माहौल है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के पूर्व नेता और रियल एस्टेट कारोबारी रंजीत सिंह गिल ने बीते शुक्रवार को भाजपा (BJP) का दामन थाम लिया। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के सरकारी आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हुए गिल के नए राजनीतिक अध्याय की खुशी शायद 12 घंटे भी नहीं टिक पाई। जैसे ही उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की अलग-अलग टीमों ने चंडीगढ़, मोहाली और खरड़ में उनके ठिकानों पर छापेमारी कर दी। गिल की रिहायश और कार्यालयों को खंगाला गया, जिससे छापे की टाइमिंग को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं और सवाल तेज हो गए हैं।

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विजिलेंस ब्यूरो ने इस छापेमारी को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन अधिकारियों के सूत्रों का कहना है कि गिल के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो को एक महत्वपूर्ण शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई है। वहीं, सूत्रों की यह भी जानकारी है कि रंजीत सिंह गिल प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर भी थे, लेकिन उससे पहले ही पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने तेजी दिखाते हुए कार्रवाई कर दी। विजिलेंस अधिकारियों के मुताबिक, केवल रंजीत गिल ही नहीं, बल्कि उनके कई सहयोगी भी जांच के घेरे में हैं और उनके ठिकानों पर भी बीज अहम जांच चल रही है। गिल के साथी भी फिलहाल विजिलेंस की रडार पर बताए जा रहे हैं।

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रंजीत सिंह गिल, जो शिरोमणि अकाली दल के पूर्व नेता और मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के करीबी माने जाते हैं, ने राजनीति में अपनी किस्मत खरड़ विधानसभा सीट से दो बार विधानसभा चुनाव लड़कर आज़माई थी, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। भाजपा में शामिल होने के कुछ ही घंटे बाद विजिलेंस ब्यूरो की यह बड़ी कार्रवाई, उनकी राजनीतिक यात्रा को एक अप्रत्याशित मोड़ देती नजर आ रही है। भाजपा में शामिल होने के उत्साह और अचानक कानूनी जांच के दबाव के बीच गिल की वर्तमान स्थिति सियासी हल्कों में खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। विजिलेंस द्वारा की गई यह त्वरित कार्रवाई, क्या किसी बड़े खुलासे की ओर इशारा कर रही है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।