
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : देश में बढ़ती महंगाई के बीच बिहार ने एक राहत की खबर दी है। अप्रैल 2025 के आंकड़ों के अनुसार बिहार की महंगाई दर राष्ट्रीय औसत से कुछ कम है। राज्य में महंगाई दर 2.90 प्रतिशत रही, जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत 3.16 प्रतिशत दर्ज किया गया। इसके पीछे बड़ा कारण सब्जियों की कीमतों में तुलनात्मक रूप से कमी आना बताया जा रहा है।
क्या है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)?
महंगाई की दर का आंकलन केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के जरिए होता है। यह सूचकांक दैनिक उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में आए उतार-चढ़ाव का संकेत देता है। बिहार का संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक फिलहाल 188.2 पर है, जो राष्ट्रीय सूचकांक (192.6) से बेहतर स्थिति दर्शाता है। इसका सरल अर्थ है कि जिन वस्तुओं और सेवाओं के लिए 2012 में 100 रुपये खर्च होते थे, अब बिहार में उनकी कीमत बढ़कर 188.2 रुपये हो गई है।
कृषि बाजार प्रांगणों में होगा बड़ा बदलाव
राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादों को बेहतर कीमत दिलाने के लिए कृषि बाजार प्रांगणों का व्यापक आधुनिकीकरण कर रही है। उपमुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार के 21 कृषि बाजार प्रांगणों को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जा रहा है। इन बाजारों में सुधार होने से किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलेगा।
राज्य के 12 प्रमुख कृषि उत्पादन बाजार प्रांगणों जैसे पूर्णिया के गुलाबबाग, पटना के मुसल्लहपुर, आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गया, बेतिया, दाउदनगर और मोहनियां के विकास के लिए 748.46 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इसके अतिरिक्त नौ अन्य बाजार प्रांगणों (सासाराम, बेगूसराय, कटिहार, फारबिसगंज, जहानाबाद, दरभंगा, किशनगंज, छपरा व बिहटा) के लिए 540.61 करोड़ रुपये की योजनाओं पर कार्य चल रहा है।
ई-नाम योजना से मिलेगी किसानों को मदद
केंद्र सरकार की ई-नाम योजना भी बिहार के किसानों के लिए उपयोगी साबित हो रही है। इसके माध्यम से किसान अपने उत्पादों को ऑनलाइन माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेच सकते हैं। यह योजना बाजार में पारदर्शिता लाएगी और किसानों की आय में वृद्धि करेगी।