
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। राज्य के ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में दशकों से चली आ रही 'रेवेन्यू पुलिस' (राजस्व पुलिस) व्यवस्था को अब खत्म किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इन इलाकों में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी अब सिविल पुलिस को सौंपी जाएगी। यह कदम राज्य में अपराध नियंत्रण और नागरिकों को त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
दरअसल, उत्तराखंड के कई पर्वतीय जिलों में अभी भी अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही राजस्व पुलिस की व्यवस्था लागू है। इन क्षेत्रों में राजस्व अधिकारी (जैसे पटवारी, कानूनगो) ही पुलिस के रूप में भी काम करते हैं, जो अक्सर अपराधों की जांच और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में उतनी प्रभावी नहीं होती। 'अंकिता भंडारी हत्याकांड' जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में राजस्व पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे, जिसके बाद इस व्यवस्था को बदलने की मांग तेज हो गई थी।
इस फैसले के तहत, धीरे-धीरे सभी राजस्व पुलिस क्षेत्रों को सिविल पुलिस के अधिकार क्षेत्र में लाया जाएगा। इसके लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाएगी और नए पुलिस थाने व चौकियां स्थापित की जाएंगी। यह परिवर्तन नागरिकों को बेहतर पुलिसिंग, त्वरित प्रतिक्रिया और अपराधों की अधिक पेशेवर जांच सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने इस निर्णय को राज्य में सुशासन और सुरक्षित वातावरण बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। इससे पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में भी आधुनिक पुलिस व्यवस्था का लाभ मिल पाएगा, जिससे अपराधों पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगेगा और पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सकेगा। यह कदम राज्य में समग्र कानून-व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगा।