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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : सावन का दूसरा सोमवार... हर-हर महादेव... बोल बम... इन गूँजते नारों के साथ देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। दूर-दराज से आए शिवभक्तों के जोश और श्रद्धा से पूरा मेला क्षेत्र गुलजार था। श्रावणी मेला 2023 के इस खास मौके पर मंगलवार देर रात तक अनुमानतः दो लाख से ज़्यादा कांवड़िए पवित्र गंगाजल अर्पित कर चुके थे, जिससे बाबा नगरी में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।

आस्था का अथाह सागर:
सुबह से ही कांवरियों का तांता लगा हुआ था, जो सुल्तानगंज (भागलपुर) के उत्तरवाहिनी गंगा से पवित्र जल कलशों में भरकर 105 किलोमीटर की दुर्गम पैदल यात्रा कर यहाँ पहुँचे थे। उनकी आँखों में थकान नहीं, बल्कि भोले बाबा के प्रति अगाध प्रेम और दर्शन की उत्कंठा साफ झलक रही थी। बोल बम... के नारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा था, जिससे हर कांवरिया को नई ऊर्जा मिल रही थी। यह भक्तों की अदम्य आस्था ही है कि थकान और शारीरिक कष्ट को परे रखकर वे सिर्फ बाबा भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक की धुन में लीन रहते हैं।

पुख्ता इंतजाम और प्रशासन की मुस्तैदी:
इस विशाल मेले को सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रशासन और पुलिस विभाग ने दिन-रात एक कर दिया है। सुल्तानगंज से लेकर बाबाधाम तक, हर कदम पर श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। बिजली, पेयजल, अस्थायी शौचालयों, प्राथमिक उपचार की सुविधाओं के साथ-साथ स्वच्छ परिवेश और पुलिस सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मेला क्षेत्र को लगातार साफ रखा जा रहा है और पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था भी है ताकि कांवरियों को कोई परेशानी न हो।

पुलिस प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए खास व्यवस्था की है। देवघर के उपायुक्त (DC) मंजूनाथ भजंत्री, पुलिस अधीक्षक (SP) अजीत पीटर और वरीय अधिकारी (SSP, DIG) लगातार मेला क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं और हर पल स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए हैं। विशेषकर मायापुर मोर (जो अपने मयूरपंख डिजाइन वाले पुल के कारण प्रसिद्ध है) और कुमरबंध जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में श्रद्धालुओं की आवाजाही पर खास नजर रखी गई, ताकि कहीं भी भगदड़ या अव्यवस्था की स्थिति न बने।

श्रावणी मेला के आगामी चरणों के लिए भी प्रशासन पूरी तरह तैयार है, ताकि शेष सोमवारों और दिनों में भी आने वाले शिवभक्त सुरक्षित और श्रद्धापूर्वक जलाभिषेक कर सकें। यह सफल आयोजन बिहार और झारखंड प्रशासन के बेहतर तालमेल का भी प्रतीक है।