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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : राजनीति उनके खून में है, क्योंकि उनके पिता और माता दोनों बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें राजद का युवराज माना जाता है और 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्हें संभावित मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन बिहार के नतीजों ने उनकी छवि धूमिल कर दी है। हम बात कर रहे हैं तेजस्वी यादव की, जिनके जीत के दावों को बिहार की जनता ने सिरे से नकार दिया है। अब सवाल उठता है कि क्या यह चुनावी हार तेजस्वी यादव के राजनीतिक करिश्मे को खत्म कर देगी? इन नतीजों के बाद राजद के युवराज का भविष्य क्या होगा?

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बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार, एनडीए 190 सीटों पर आगे चल रहा है। भाजपा 85 सीटों पर, जदयू 76 सीटों पर, लोजपा-रालोद 22 सीटों पर, हम 4 सीटों पर और रालोद 3 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, महागठबंधन केवल 49 सीटों पर आगे चल रहा है। इनमें से राजद 34 सीटों पर, कांग्रेस 6 सीटों पर, वीआईपी 1 सीट पर और लेफ्ट 7 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले ही हार मान ली है।

तेजस्वी का भविष्य क्या होगा?

तेजस्वी यादव की राजद ने महागठबंधन में 143 सीटें जीतीं। इनमें से उन्होंने 52 सीटों पर यादव उम्मीदवार उतारे। इससे यह संदेश जाता है कि तेजस्वी यादव का पूरा ध्यान जाति की राजनीति पर है, जिससे गैर-यादव वोट पूरी तरह से छिटक गए हैं। अगर तेजस्वी यादव अपनी इसी छवि को बनाए रखते हैं, तो भविष्य में उन्हें इसका नुकसान हो सकता है। दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष उन्हें राजद की यादव नीति बताकर बार-बार घेर सकता है।

वादे सोच-समझकर करने चाहिए।

चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव ने कई ऐसे वादे किए जिनकी रूपरेखा वे खुद भी ठीक से नहीं बता पाए। इन वादों में हर घर में एक सरकारी नौकरी देने का वादा भी शामिल था, लेकिन वे यह नहीं बता पाए कि इसे कैसे पूरा किया जाएगा। जब भी उनसे इसका खाका मांगा गया, उन्होंने टालमटोल की। ​​नतीजतन, जनता का उन पर से विश्वास उठ गया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अगर तेजस्वी यादव वापसी करना चाहते हैं, तो उन्हें इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। उन्हें जनता से ऐसे वादे करने होंगे जिन पर जनता आसानी से विश्वास कर सके।

क्या उन्हें तेज प्रताप से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा?

पारिवारिक विवाद के बाद तेजप्रताप यादव अलग पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। हालांकि रुझानों में उनका प्रदर्शन बेहद खराब है, लेकिन भविष्य में वे राजद में वापसी कर तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठा सकते हैं।

क्या तेजस्वी यादव की वापसी हो पाएगी?

अब सवाल यह उठता है कि क्या तेजस्वी यादव इस हार के बाद वापसी कर पाएँगे? राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। एक चुनाव के नतीजे अक्सर अगले चुनाव पर असर नहीं डालते। अगर तेजस्वी यादव अपनी गलतियों पर ध्यान दें और उन्हें दोहराने से बचें, तो स्थिति बदल सकती है। राजद एक बार फिर सत्ता का स्वाद चख सकती है।